पूर्व प्रधानाचार्य ने ली अंतिम सांस, क्षेत्र में पसरा सन्नाटा

पूर्व प्रधानाचार्य ने ली अंतिम सांस, क्षेत्र में पसरा सन्नाटा

हजारों की संख्या में लोगों ने दी श्रद्धांजलि
देवी प्रसाद शर्मा
आजमगढ़। श्री शंकर जी इण्टर कालेज कटवा गहजी के पूर्व प्रधानाचार्य हरिनारायण सिंह जिनकी उम्र 84 साल के आसपास थी शुक्रवार को देर रात प्रयागराज में अंतिम सांस ली उनका इलाज लंबे समय से चल रहा था। जानकारी के अनुसार वह श्री शंकर जी इण्टर कालेज कटवा गहजी के निर्माण कर्ता होने के साथ विद्यालय के प्रधानाचार्य के बाद प्रबंधक के पद को भी सुशोभित किये थे उनकी कार्य कुशलता, सख़्त रुख और दक्षता से प्रभावित होकर माध्यमिक शिक्षा परिषद में भी उनको सम्मान के साथ एक दशक से ज्यादा समय अध्यक्ष पद को सुशोभित करने का अवसर भी मिला वह नियम कानून के इतने सख्त थे तो गरीब, असहाय के हिमायती भी थे वहीं अगर गलत किसी से भी कुछ हो जाए तो क्षमा करने के लिए कभी भी तैयार नहीं थे यही कारण था की नकल के सख्त विरोधी रहने के कारण अन्य विद्यालयों में भले ही नकल का बोलबाला रहा हो लेकिन विद्यालय की चहर दिवारी तक नकल को प्रवेश नहीं करने दिया यही कारण था कि उनके सामने बड़े से बड़े लोग श्रद्धा से नतमस्तक हो जाया करते थे शिक्षा विभाग से सेवा निवृत होने के बावजूद भी शिक्षा से गहरा लगाव रहा कोई अगर मिल भी गया तो उससे शिक्षा से संबंधित विषय पूछना उनके नैतिक जीवन में भरा हुआ था यही कारण था कभी भी उनके सानिध्य में अपराधियों का या अन्य जिनके अंदर संस्कार की भावना नहीं रहती थी दूर-दूर तक दिखाई नहीं देता था उनकी बढ़ती लोकप्रियता से उनका सम्मान और बढ़े इसके लिए विद्यालय के गेट पर अब नारायण द्वार बन कर सबका स्वागत करता है वहीं पर वह अपने आचरण, व्यवहार और भाषा में लोगों के सामने सहयोगी जैसे भी दिखते थे आज जब वह इस दुनिया में नहीं रहे तो उनके द्वारा अनेक प्रकार के किस्से और कहानियां लोग अपने बच्चों को बता कर एक नया आदर्श प्रस्तुत कर रहे हैं। उन्होंने जूनियर, हाई स्कूल और इंटर कॉलेज तक की व्यवस्था को देने तक ही अपने को सीमित नहीं रखा लोगों को रोजगार भी मिले इसके लिए उन्होंने व्यावसायिक शिक्षा देकर इस क्षेत्र के इतिहास में एक नया मुकाम खड़ा कर दिया था उनके पास इस समय चार पुत्र हैं बड़े पुत्र ज्ञान प्रकाश सिंह एक विद्यालय के प्रधानाध्यापक के साथ पिता के साथ लगातार जब उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं था दिन रात उनकी सेवा में लगे हुए थे, दूसरे पुत्र डा. अशोक कुमार सिंह जो समाजसेवी के साथ परिवार की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभालने के साथ ही श्री शंकर जी इण्टर कालेज के प्रबंधक भी हैं, वहीं पर तीसरे नंबर पर डॉक्टर अरुण कुमार सिंह इस समय आईपीएस बनकर गोरखपुर में नया इतिहास लिखने की तैयारी में हैं, और चौथे नंबर पर डा. दिनेश सिंह असिस्टेंट प्रोफेसर गांधी शताब्दी स्मारक महाविद्यालय कोयलसा में कार्यरत हैं। अब जब वह भरे पूरे परिवार को छोड़कर सभी को अलविदा कह गए तो हजारों की संख्या में लोगों ने नम आंखों से श्रद्धांजलि देने के साथ ही ऋषि दुर्वासा की तपस्थली में शनिवार को उनका अंतिम संस्कार कर लोगों ने नाम आंखों से विदाई कर दी।

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