गौशालाओं में दम तोड़ रहे मवेशियों की देखभाल व आपूर्ति की डीएम से जांच की मांग
लोधवारी समेत अनेकों गौशालाओं में बड़े पैमाने की धांधली का धड़ल्ले से चल रहा खेल
जिले भर की गौशालाओं की चारा सहित अन्य आपूर्ति में हो रही भारी अनियमितता
संदीप पाण्डेय
रायबरेली। प्रदेश का सरकारी अमला विकास कार्यों से लेकर गौ संरक्षण को सुचारु रूप से चलाये जाने में फेल हो रहा है। चौतरफा दिखाई पड़ने वाले मवेशियों ने किसानों की नाक में दम कर दिया। जब सरकार ने उनके रखरखाव को करोड़ों खर्च करके गौशालाओं का निर्माण कराया हुआ है तो फिर इनको छोड़ क्यों दिया जाता है। गौशालाओं को बनाने से लेकर देखभाल के लिए आने वाले धन का दुरुप्रयोग ही हुआ है।
वर्तमान में जनपद भर में दर्जनों की संख्या में गौशालाओं की स्थिति बद से बदतर है। राही ब्लाक के बेलाखारा, लोधवारी, राही, बेलाभेला और चकसिरिहरा की गौशालाओ के निर्माण में मानक की धज्जियां उड़ाई गयी हैं। यहाँ मवेशियों की सुरक्षा और चारे के साथ ही समय से पानी पिलाये जाने और साफ सफाई के लिए गौशालाओं में कर्मचारी तैनात किये गए हैं।
सूत्रों की मानें तो तैनात अधिकतर व्यक्ति प्रधानो के व्यक्तिगत कार्यों में ही लगे रहते हैं जिससे जाहिर होती है की गौशालाओ के संचालन में जमकर अनियमितता बरती जा रही है। हरे चारे की कौन कहे यहाँ सूखा भूसा का भी अभाव रहता है। शायद यही कारण है की कागजों की तुलना में हकीकत कुछ और ही है। अधिकतर मवेशी यहाँ के हालतों से लड़ने में अक्षम होकर दम तोड़ रहे हैं। कमोवेश जिले भर के सभी ब्लाकों की गौशालाओं का कोई पुरसाहाल नहीं है।
उल्लेखनीय है कि लोधवारी निवासी पूर्व जिला पंचायत सदस्य राम खेलावन, आरडी शुक्ला, बृजेश सिंह, विनोद यादव, प्रदीप सिंह, आशीष सहित सैकड़ो स्थानीय लोगों ने बताया कि लाखों रुपयों के बंदरबांट का खेल बेरोकटोक चल रहा है। सवाल है कि मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना में जिम्मेदारों की अनदेखी क्या उनकी हिस्सेदारी तय होने की ओर इशारा करता है।
मुख्यालय से ही मिली मौन स्वीकृति का ही परिणाम है कि अनेकों गौशालाओं में कागजों पर आपूर्ति का काला कारनामा धड़ल्ले से चल रहा है। भीषण गर्मी में भूख और प्यास से तड़प रहे मवेशियों की हालत देखने लायक है। सभी ने एक स्वर में ज़िलाधिकारी से मामले में हस्तक्षेप करके सम्बन्धित विभाग में हो रही धांधली की जांच कराकर इस बंदरबांट पर रोक लगाए जाने की मांग किया है।
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