कलम पकड़ने वाले नन्हे हाथों से उठवाये जा रहे ईंट व लगवायी जा रही झाड़ू
बीएसए की लचर कार्यशैली से सरकारी विद्यालयों के शिक्षक बच्चों को बना रहे मजदूर अंधकारमय होता जा रहा रायबरेली के प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले नौनिहालों का भविष्य
अनुभव शुक्ला
रायबरेली। उधर विधानसभा में योगी सरकार विपक्ष के सवालों को लेकर तीखी प्रतिक्रिया देने में जूझ रहे है। इधर बेसिक शिक्षा विभाग के मुखिया की अहम जिम्मेदारी का चोला ओढ़े साहब हैं की कुर्सी छोड़कर कार्यालय से निकलते ही नहीं जिसका फायदा उठाकर प्राथमिक विद्यालयों के सरकारी अध्यापक भी कुर्सी पर बैठकर नौनिहालों से कहीं ईंटों को उठवाकर बच्चों से बाल मजदूरी करवाते नजर आते हैं तो कहीं बच्चों से झाड़ू लगवाते नजर आते हैं जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि नौनिहालों के भविष्य को बीएसए शिवेंद्र प्रताप ही अंधकार में धकेलने पर पूरी तरह से तुले हुए हैं।
यूं तो जिले के अधिकांश प्राथमिक विद्यालयों की बाउंड्रीवॉल होने की वजह से विद्यालय परिसर में शिक्षकों के कई कारनामे अंदर ही दफन हो जाते हैं किंतु कई कारनामों के बनाये गये वीडियो को देखने के बावजूद कुछ भ्रष्ट शिक्षकों के आका कार्यवाही के बजाय उनकी पैरवी करते नजर आते हैं। जी हां, इसका जीता जागता पहला उदाहरण सलोन तहसील क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय मटका का है जहां नौनिहालों से प्रभारी प्रधानाध्यापक 5 किलो वजन का ईंटा उठवाते नजर आ रहा है वहीं अब दूसरा उदाहरण जिले के ही गदागंज थाना क्षेत्र के शेखू पुर प्राथमिक विद्यालय का वायरल वीडियो का सामने आया है जहां नौनिहाल झाड़ू लगाते नजर आ रही है।
इतना ही नहीं, कई विद्यालयों में पढाई के बजाय लडाई करते भी शिक्षक नजर आए विद्यालय परिसर जंग का मैदान बना किंतु जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी शिवेंद्र प्रताप अब तक के मामलों में साक्ष्य पाने के बावजूद सिक्कों की खनक व रसूख की हनक के चलते शिक्षकों के कारनामों पर पर्दा ही डालते चले आ रहे हैं। आखिर कलम पकड़ने की चाहत से प्राथमिक विद्यालय जाने वाले नौनिहालों का भविष्य कब तक अंधकार में जिम्मेदार धकेलते रहेंगे? यह एक यक्ष प्रश्न बना हुआ है।
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