मनरेगा जॉब कार्ड, रजिस्टर, स्टेशनरी व फ्लैक्स की सप्लाई में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े की जांच का इंतजार!

मनरेगा जॉब कार्ड, रजिस्टर, स्टेशनरी व फ्लैक्स की सप्लाई में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े की जांच का इंतजार!

क्या जनपद में मिर्जा यासमीन ट्रेडर्स व लेखन सामग्री सेण्टर के अतिरिक्त अन्य फर्म के पास नहीं है सप्लाई की योग्यता?
संदीप पाण्डेय
रायबरेली। भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रुख अपनाये जाने को सरकार के कड़े निर्देशों के बाद भी जिम्मेदार अधिकारियों के कानों में जूं नही रेंग रही है। उल्लेखनीय है कि जिले के लगभग सभी ब्लाकों में मनरेगा जॉब कार्ड, 7 रजिस्टर, स्टेशनरी और फ्लैक्स की सप्लाई में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा होने की बात सामने आ रही है।समाचार पत्र में इस फर्जीवाड़े को उजागर होने के बाद फर्मों का ब्लाकों में पेंडिंग पेमेंट हड़बड़ी में शुरू कर दिया गया है। दिलचस्प है कि सिर्फ महराजगंज ब्लाक से ही बीते जुलाई माह में मिर्जा यासमीन ट्रेडर्स को 1 लाख 62 हजार 830 रुपए और लेखन सामाग्री सेंटर को 1 लाख 61 हजार 240 रुपए का भुगतान किया गया। यह तो महज एक ही ब्लाक के आंकड़े हैं। इसी तरह लगभग सभी ब्लाकों में डेढ़ से 3 लाख रुपए तक का भुगतान इन्ही दोनों फर्मों को ही किया गया है। सूत्रों की मानें तो यह दोनों फर्मों एक ही व्यक्ति की हैं जिनको बदल-बदल करके यह खेल लगभग एक दशक से बेधड़क चल रहा है। ब्लाकों में तैनात बाबुओं, मनरेगा के अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारियों और खंड विकास अधिकारियों की मिलीभगत से उच्चाधिकारियों की आंखों में धूल झोंक करके बेरोक—टोक सप्लाई ली जा रही है। अब देखना है कि मनरेगा जॉब कार्ड, 7 रजिस्टर, स्टेशनरी और फ्लैक्स की सप्लाई में बड़े पैमाने पर हुए फर्जीवाड़े में शामिल दोषियों पर कब कार्यवाही का चाबुक चलाया जाता है।

राही में लगभग दो दशक से तैनात एपीओ मनरेगा का कायम है साम्राज्य
संदीप पाण्डेय
रायबरेली। जिस प्रकार मनरेगा कार्यक्रमो में की जा रही सप्लाई में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की बू आ रही है, उसमें विभाग के जिम्मेदार अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारियों का सबसे अहम रोल बताया जा रहा है। फिलहाल सूत्रों के अनुसार राही ब्लाक में वर्ष 2010 से तैनात एपीओ मनरेगा का एकछ्त्र साम्राज्य कायम है। लगभग 5 वर्षों बाद कुछ माह के लिए इसकी तैनाती छ्तोह ब्लाक में हुई लेकिन अपने जुगाड़ से यह पुनः वापस राही ब्लाक आ गया। तब से लेकर अब तक ब्लाक में इसकी ही तूती बोलती है। किस फर्म से सप्लाई ली जाएगी, यह एपीओ ही तय करता है। वर्तमान में भी नवागन्तुक और अनुभवहीन बीडीओ किसी भी निरीक्षण और कार्यक्रम में बिना इसके सहभागिता नहीं कर पाती हैं। ब्लाक में फैले भ्रष्टाचार को अंजाम दिलाये जाने में सबसे मुख्य भूमिका एपीओ की बताई जा रही है।

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