तेजस टूडे ब्यूरो युसूफ खां धौलपुर (राजस्थान)। सरमथुरा के गाँव कोटा में बीते 18-19 अप्रैल रात करीबन 2ः30 बजे 10 से 12 की संख्या में हथियारबन्द लुटेरे जिनके पास बड़ी बन्दूकें एवं कट्टे से लेस होकर किरोडी लाल मीना के घर, पर घावा बोल दिया। घर के सामने बने चबूतरे पर किरोडी लाल सो रहा था लुटेरों ने उसे जगाकर पहले पानी मांगा। हथियारों को देखकर किरोडी लाल ने पूछा कि आप कौन हैं तो लुटेरों ने कहा कि हमने तेरे लडके नबल सिंह को मारने की पांच लाख की सुपारी ली है और गाली गलोंच की। इतना सुनकर कोई अनहोनी की आशंका भांप कर वह शोर मचाने लगा। मगर लुटेरों ने कपड़े से उसका गला दबा दिया और उसे एक किलोमीटर दूर ले जाकर मारपीट की और हाथ पैर बांधकर खेतों में पटक दिया एवं दो बन्दूकधारी किरोडी लाल की गर्दन पर बंदूक रख कर खड़े रहे। लुटेरों ने यह भी कहा कि तेरे तीन लडके हैं एवं छोटा लढ़का जयपुर पढ़ता है। बाकी लुटेरे मकान पर बापस आए एवं नबल सिह से घर का दरवाजा खुलवाया। नबल सिंह ने किरोड़ी समझकर दरवाजा खोल दिया। मकान में अंदर आते ही लुटेरों ने पूछा कि तेरे भाई गिर्राज की राइफल कहां है? उसका कैश कहां रखा है तो नबल की पत्नी ने कहा कि वह तो उनसे अलग रहते हैं। उसके बाद तीन बन्दूकों बाले नबल सिंह, उसकी पत्नी एवं छोटे छोटे तीन बच्चों पर बन्दूकें ताने खडे रहे। बाकी सात आठ लुटेरों ने घर में रखी सभी कमरों एवं उनमें रखी आलमारियों के ताले तोड़कर 21,50,000 रूपये तीन सौने की कन्दौनी, दो सोने के हार, चार चूड़ियां, करीबन 65 तोले सोना के अलावा दो किलो चांदी और छोटा मोटा गहना समेटकर नबल सिंह एवं उसके बच्चों को कमरों में बंद कर 3-30 बजे भाग गए जिसमे कुल 55,00,000 की डकैती हुई है। एफआईआर सरमथुरा थाने में दर्ज करा दी गई है। अभी तक क्या कार्यवाही हुई या कोई पकड़ा गया है या नहीं, इसकी शिकायत करके पास कोई सूचना नहीं है। इस घटना को 18 दिन बीत गये हैं लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई है। विचारणीय मुद्दे यह हैं कि सरमथुरा के पास मात्र 2.5 किमी दूरी पर हथियारों से लेस लोगों ने डकेती की है जिसका रिपोर्ट में जिक्र नही किया गया है। डकैती के केस को साधा और चोरी का मामला बताया गया है। गौरतलब है कि सरमथुरा कई दशकों से डकेतों से ग्रसित है और आज तक डकैती उन्मूलन के लिये जमीनी स्तर पर किसी भी सरकार और समाज ने कोई काम नहीं किये हैं। कागजी खानापूर्ती चलती रहती हैं। अनुसूचित जाती और जनजाती बाहुल्य एरिया होने के कारण यहाँ के लोग अत्याचार झेलते रहते हैं और प्रशासन का ढर्रा सुस्त देखा जाता है। लगातार सूखे, नशा, जुआ, बेरोजगारी से ग्रसित माहौल में यदि कोरोना दूसरी साल दस्तक दे दे तो समझा जा सकता है कि डकेती और चोरी का बढ़ना स्वाभाविक है। जानकार कहते आये हैं कि सरकार पोलिस बल बढ़ा कर लाखों और करोड़ों रू खर्च कर सकते हैं लेकिन कोई स्थाई समाधान हैं। 16 दिनों तक पुलिस थाने से मात्र 2.5 किमी दूरी पर हुई सशत्र डकेती पर अभी तक कोई सुराग नही लगने से पुलिस की कार्यप्रणाली को समझा जा सकता है। एफआईआर दर्ज होने के बाद भी स्थानीय समाचार पत्रों में खबर न छपने से क्या समझा जाए, जानकार लोग नही समझ पा रहे हैं। समाचार पत्रों में न छापने को स्थानीय नागरिकों द्वारा साजिश समझा जा रहा है और जिम्मेदार नेता, जनप्रतिनिधी अधिकारी अनजान बन कर घूम रहे हैं। यह डकैती अनुसूचित जन जाती परिवार पर प्रहार है जिसका असर यह भी होगा कि अब ग्रामीण अपने अपने गाँव छोड़कर कस्बों और शहरों को पलायन करेंगे जहां पर जनसंख्या का पहले से ही बेहद दबाव है। अनुसूचित जन जाती के कार्यकर्ताओं और समाज में पुलिस प्रणाली पर असंतोष दिख रहा है।