आर एल पाण्डेय
हरदोई/लखनऊ। मिलावटी सरसों के तेल का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है। मिलावटखोर हजारों लीटर मिलावटी तेल बाजार में बेच रहे हैं। खाद्य व आपूर्ति विभाग को ही नहीं, बल्कि खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन के आला अफसरों को भी इसकी पूरी जानकारी है। बावजूद इसके मिलावटखोरों पर कार्रवाई न के बराबर की जा रही है। वहीं डॉक्टरों का कहना है कि इस मिलावटी तेल का लगातार इस्तेमाल करने से जान तक जा सकती है।
बाहर से टैंकरों में आने वाले घटिया और सस्ते राइस ब्रान (धान की भूसी का तेल) में मस्टर्ड की सुगंध वाला एसेन्स डाला जाता है। रंग निखारने के लिए उसमें हानिकारक बटर यलो मिलाया जाता है। इसके बाद मिलावटी सरसों के तेल को सस्ते दाम में कारोबारियों तक पहुंचा दिया जाता है। 15 किलो के सरसों के डिब्बे पर करीब 1500 रुपए का मुनाफा होने की वजह से दुकानदार भी इसे खरीदकर बिक्री करने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं।
मिलावट का यह पूरा कारोबार जिला मुख्यालयों और इसके आस-पास के नगरों में भारी मात्रा में धान की भूसी से तेल (राइस ब्रान) निकालने का धंधा चलता है। बड़े कारोबारी अपने टैंकरों के जरिए राइस ब्रान को विभिन्न स्थानों के व्यापारियों तक पहुंचाते हैं। टैंकर से आने वाला यह घटिया राइस ब्रान तेल 60 से 70 रुपए किलो में मिलता है, जबकि ब्रांडेड और अच्छा सरसों का तेल थोक में 180 से 220 रुपए किलो पड़ता है।
राइस ब्रान तेल गोदाम में पहुंचने के बाद मिलावट का खेल हर जिले में अवैध फैक्ट्रियों में होता है जिसमें कई कारोबारियों के गोदाम में दिन-रात चलता रहता है। प्रदेश में मिलावटखोर अपने गोदामों पर दूर-दराज से आने वाले मजदूरों को इस काम के लिए रखते हैं। यह मजदूर घटिया राइस ब्रान में मस्टर्ड की सुगंध वाला एसेंस और बटर येलो मिलाकर इसे सरसों के तेल की तरह तैयार करते हैं। इसके बाद इसकी पैकेजिंग और लेबलिंग का काम किया जाता है।
यहां उल्लेखनीय है कि खाद्य विभाग ने यदा कदा सैंपल लेकर महज खानापूर्ति की। परंतु किसी सरसों व्यापारी की दुकान आज तक बंद नहीं हुई।इसीलिए ग्राहकों को संदेह है कि खाद्य विभाग रिश्वतखोरी एवं अवैध वसूली के चलते केवल सैंपल लेने का ढोंग करता है।वरना पिछले एक दशक में लिए गए सैंपल की जांच का क्या हुआ?नकली सरसों तेल बेचने के लिए बदनाम हो चुके व्यापारी जेल के सीखचे के पीछे क्यों नहीं पहुंचे?
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