यमुना तटीय गांवों से प्राचीन भारत के दर्शन करेगी नौ दिवसीय पद यात्रा

यमुना तटीय गांवों से प्राचीन भारत के दर्शन करेगी नौ दिवसीय पद यात्रा

गुड्डन जायसवाल
खागा, फतेहपुर। आगामी 14 दिसंबर से गोस्वामी तुलसीदास जी की जन्म स्थली राजापुर, चित्रकूट स्थित तुलसी मंदिर से प्रारंभ हो रही यमुना ग्राम दर्शन पद यात्रा का उद्देश्य अंतिम पायदान पर खड़े हर एक व्यक्ति तक पहुंचना है। यमुना तटवर्ती गांवों के लोगों से मिलकर उनकी समस्याओं के बारे में चर्चा कर उन्हें शासन-प्रशासन के समक्ष पहुंचाना, यात्रा का प्रमुख उद्देश्य होगा। पद यात्रा के दौरान मां कालिंदी के तट से प्राचीन भारत का दर्शन होगा। तुलसी मंदिर से यात्रा प्रारंभ होकर दूसरे दिन धाता ब्लाक के किशनपुर ऐरई घाट पहुंचेगी।

घाट किनारे स्थित चौसठ माता मंदिर में पूजा-आराधना के बाद यात्रा तुलसीपुर, रानीपुर, दामपुर आदि गांवों की पौराणिक पृष्ठभूमि का अध्ययन करते हुए सलेमपुर गांव में रात्रि विश्राम करेगी। 16 दिसंबर को सलेमपुर से प्रारंभ होने वाली यात्रा गढ़ा खास गांव में गढ़बीर बाबा के दर्शन उपरांत एकडला गांव में रात्रि विश्राम करेगी। यहां पर बीरबल की ननिहाल, संकठा माता मंदिर, पंचदेव मंदिर आदि के दर्शन करके अगले पड़ाव के लिए यात्रा शुरू होगी। श्रीफाल्गुन गिरि बाबा किशुनपुर, नागा बाबा कुटी में पूजा-आराधना करते हुए यात्रा रायपुर भसरौल के टिकुरी माता मंदिर और महेश बाबा मंदिर के दर्शन हेतु रुकेगी। यहां पर खंडित मूर्तियों का भू-विसर्जन करने के बाद यात्रा अग्रिम पड़ाव तेलान बाबा मंदिर, सरकंडी की ओर प्रस्थान करेगी। जहां पर यात्रा का रात्रि विश्राम होगा।

अगले दिन की यात्रा में जरौली घाट पर रीवा नरेश द्वारा बनवाए गए मंदिर कुटीपर का भ्रमण, प्रियदास स्वामी जी की समाधि, मठहवा बाबा के दर्शन उपरांत यात्रा रामनगर कौहन ब्रम्हकुंड के दर्शन लाभ प्राप्त करेगी। अंतिम दिन यात्रा की शुरुआत मवई धाम परमानंद आश्रम से होगी। जबकि समापन आगामी 22 दिसंबर को परसेढ़ा, अमौली घाट पर होगा। यमुना तटीय गांवों की यात्रा में आधुनिकता की आंधी में कौन-कौन सी विरासतें हमसे छिन गई हैं। किन धरोहरों को अभी हम सहेज सकते हैं, इन सभी का अध्ययन महानुभावों के सहयोग से पूरा होगा ऐसा मुझे पूर्ण विश्वास है। यात्रा में मेरे साथ चल रहे सभी कालिंदी सेवकों का प्रयास होगा कि गांवों से दूर, शहर कस्बों में रहने वाले लोगों को हम प्रेरित करें कि वर्ष में एक बार अपने पूर्वजों की धरती में सपरिवार प्रवास जरूर करें। बच्चों को गांव और प्राचीन संस्कृति का बोध करावें।

बुजुर्गों से आशीर्वाद की परम्परा को जागृत करें। नदी के विभिन्न घाटों की बदहाली और पुराने घाटों को संरक्षण यात्रा के प्रमुख उद्देश्यों में शामिल है। यमुना के प्रति लोगों की गहरी आस्था है, लेकिन शासन-प्रशासन का ध्यान कभी यमुना नदी की अविरल धारा और घाटों के संरक्षण की ओर नहीं जाता है। कई घाट सदियों पुराने है लेकिन वहां गंदगी का अंबार लगा है। बाढ़ के समय होने वाली मिट्टी की कटान और आधुनिक परंपराओं ने इन प्राचीन नदी घाटों को क्षति पहुंचाई है। प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है। यात्रा का उद्देश्य है कि नदी को बचाने के साथ ही इन घाटों का जीर्णोद्धार हो सके। यात्रा में कई ऐसे बिंदुओं को शामिल किया गया है, जिनकी ओर शासन-प्रशासन का ध्यान नहीं जाता है। कभी दस्यु प्रभावित रहे, बीहड़ के नाम से पहचाने जाने वाले यमुना तटवर्ती गांवों को विकास की मुख्य धारा से जोड़कर अलग पहचान दिलाने का प्रयास किया जाएगा।

आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने के बाद भी यमुना तटवर्ती गांवों तक पहुंचने के लिए अच्छी सड़कें नहीं हैं। स्वास्थ्य, शिक्षा और सुरक्षा को लेकर यहां तमाम कार्यों की आवश्यकता है। यमुना एक्सप्रेस-वे बनाकर सरकार ने वाहवाही लूटी, असल में इसका लाभ यमुना तटीय गांवों को मिला कि नहीं, इसका नकदीकी मूल्यांकन किया जाएगा। रात्रि प्रवास से पहले यमुना मइया की आरती और यात्रा मार्ग पर आने वाले गांवों के प्रसिद्ध मंदिर, पौराणिक व ऐतिहासिक स्थलों पर पौधा रोपण प्रमुख होगा। लोगों को जल, जंगल, जमीन, जीव-जन बचें, राज्य बुंदेलखंड बने का संकल्प दिलाया जाएगा। यात्रा का नेतृत्व कर रहे बुंदेलखंड राष्ट्र समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रवीण पाण्डेय, यात्रा संयोजन धर्मेंद्र दीक्षित ने यात्रा के बारे में पत्रकार वार्ता में सभी को अवगत कराया। इस अवसर पर गंगा समग्र के जिला संयोजक राम प्रसाद विश्वकर्मा, देव व्रत त्रिपाठी भी रहे।

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