कार्यशाला का हुआ आयोजन
मुकेश तिवारी
झांसी। जनपद में 01 फरवरी को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस मनाया जाएगा। इस अभियान में जिले के 1 से 19 साल के 9.19 लाख बालक-बालिकाओं को कृमि से मुक्ति (पेट के कीड़े निकालने) के लिए एल्बेंडाजोल की दवा खिलाई जाएगी। इसको लेकर सभागार में एक कार्यशाला का आयोजन हुआ। जिसमें जनपद के स्वास्थ्य विभाग से एसीएमओ डॉ. आरके भदौरिया, डॉ. रविशंकर, डॉ. रमाकांत सोनी, डॉ. उत्सव राज, समस्त अधीक्षक, स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी, ब्लॉक कार्यक्रम प्रबंधक, ब्लॉक कम्युनिटी प्रबंधक, आरबीएसके टीम शिक्षा विभाग से रत्नेश त्रिपाठी एवम समस्त खण्ड शिक्षा अधिकारी, समस्त सीडीपीओ आदि कर्मी मौजूद रहे। सीएमओ डॉ. सुधाकर पाण्डेय ने बताया कि 01 फरवरी को जनपद के समस्त सरकारी एवं गैर सरकारी स्कूल कॉलेज, मदरसा और कुल आंगनबाड़ी केंद्रों में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति अभियान के तहत एल्बेंडाजोल की गोली खिलाई जाएगी। इसके बाद 05 फरवरी को मॉपअप चरण आयोजित होगा। 9.14 लाख बालक-बालिकाओं को दवा खिलाने का लक्ष्य रखा गया है, जिसे हरहाल में प्राप्त किया जाएगा। पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉ उत्सव राज ने बताया कि कृमि संक्रमण के लक्षण निम्न लिखित है। गंभीर कृमि संक्रमण से कई लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं जैसे दस्त, पेट में दर्द, कमजोरी, उल्टी और भूख न लगना। बच्चे के पेट में कीड़े की मात्रा जितनी अधिक होगी, संक्रमित व्यक्ति के लक्षण उतने ही अधिक होंगे। हल्के संक्रमण वाले बच्चों में आमतौर पर कोई लक्षण नहीं दिखते हैं। कृमि मुक्ति के फायदे स्वास्थ्य और पोषण में सुधार, रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि, एनीमिया नियंत्रण, सीखने की क्षमता और कक्षा में उपस्थिति में सुधार। डा. रमाकांत सोनी ने दवा खाने का तरीका निम्न बतायें। एक से दो साल के बच्चों को आधी गोली अच्छी तरह से चूरा करके पानी में मिलाकर खिलाएं। दो से तीन साल के बच्चों को एक पूरी गोली चूरा करके पानी के साथ खिलाएं। तीन से 19 साल के बालक-बालिकाओं को एक पूरी गोली चबाकर खानी होगी। कार्यशाला को संचालित करते हुए डीईआईसी प्रबंधक रामबाबू कुमार ने बताया कि एक से पांच साल तक के सभी पंजीकृत बच्चों को, 6 से 19 साल तक के स्कूल न जाने वाले सभी बालक-बालिकाओं एवं ईंट-भट्ठों पर कार्य करने वाले श्रमिक व घुमंतू लाभार्थियों को आंगनबाड़ी केंद्र पर दवा खिलाई जाएगी। जबकि 6 से 19 तक के सभी छात्र-छात्राओं को सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त, प्राइवेट स्कूलों, मदरसों में शिक्षकों के माध्यम से दवा खिलाई जायेगी।
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