डॉ. काशी प्रसाद जायसवाल को मरणोपरान्त भारत रत्न देने की मांग क्यों: ध्रुवचन्द

डॉ. काशी प्रसाद जायसवाल को मरणोपरान्त भारत रत्न देने की मांग क्यों: ध्रुवचन्द

अजय जासयवाल
गोरखपुर। देश के लोगों में खासकर स्वजातीसय बन्धुओं मे इस बात की कसक, खिन्नता एवं रोष है कि कई दशकों से डाॅ. काशी प्रसाद जायसवाल को मरणोपरांत भारत रत्न देने की मांग पर भारत सरकार ने चुप्पी साध रखी है। उनकी भावनाओं को अपने से साझा करते हुए महासभा के माध्यम से डाॅ. काशी जायसवाल को मरणोपरांत भारत रत्न दिलाने का संकल्प लिया गया है।

अखिल भारतीय जायसवाल सर्ववर्गीय महासभा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक को संबोधित करते हुए उत्तर प्रदेश अध्यक्ष ध्रुवचन्द जायसवाल ने प्रस्ताव रखा कि भारत सरकार मरणोपरांत डाॅ. जायसवाल को भारत रत्न से विभूषित करें। राष्ट्रीय कार्यकारणी ने करतल-ध्वनि से प्रस्ताव पारित कर दिया। शीघ्र ही देश के अन्य प्रांतों के अध्यक्षों के साथ बृहद रूप से योजना बनाई जाएगी। मांग राष्ट्रीय स्तर से की जायेगी। उक्त ब्यान उत्तर प्रदेश अध्यक्ष ध्रुवचन्द जायसवाल ने विज्ञप्ति के माध्यम से दी।

श्री जायसवाल ने कहा कि डॉ. जायसवाल ने ब्रिटिश गवर्नमेंट को आईना दिखाते हुए कहा कि भारत में शासन करने का अनुभव पहले से हैं। जब उनके लेख प्रकाशित होने लगे तो विदेशी इतिहासकारों में हलचल पैदा होने लगी। विदेशी इतिहासकारों का नजरिया बदल गया कि भारत के प्रति सकारात्मक रुख हो गया। डाॅ. जायसवाल प्राचीन इतिहास विलुप्त इतिहास एवं अन्य खोजें प्रकाशित होने लगे तो ब्रिटिश सरकार की नींद हराम होने लगी। डॉ. जायसवाल के मृत्यु-पश्चात देश के महान विभूतियों के कुछ महत्वपूर्ण लोगों के व्यक्त किये थे। कुछ प्रमुख रूप से उनके शब्दों में-महात्मा गांधी के शब्दों में भारत के बाग का एक सुंदर सा फूल सूख गया।

डॉ राजेंद्र प्रसाद के शब्दों में अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र के पंडित हमारे बीच नहीं रहे। गुलाम भारत में जन्म लेने के बावजूद डॉक्टर काशी प्रसाद जायसवाल ने जितनी खोजे कि अगर भारत स्वतंत्र होता तो उन्हें सर्वोच्च सम्मान से विभूषित किया जाता। जवाहर लाल नेहरू ने अपने लेख डिस्कवरी ऑफ इंडिया में लिखा कि डा. जायसवाल प्राचीन इतिहास के मामले में सही रूप से जानकार थे। आशुतोष मुखर्जी के शब्दों में जायसवाल जी अपनी साधना से भारत का मुख उज्जवल किया। इन लोगों के अतिरिक्त राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर, डा. निरंजन रे, महापंडित राहुल सांकृत्यायन, महावीर प्रसाद द्विवेदी एवं प्रसिद्ध उपन्यासकार अमृत लाल नागर के शब्दों में अपने लेख में लिखा कि हिमायूं की जान बचाने वाले निजामुद्दीन चिश्ती की तरह चार घड़ी की हुकूमत मिल जाए तो गांव-गांव, नगर-नगर में डॉ. जायसवाल की मूर्ति लगवाने का हुक्म दे दूं। महान विभूतियों द्वारा कहे गए अनुसार यह साबित होता है कि डॉ. जायसवाल एक महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व सच्चे देशभक्त थे। अंतरराष्ट्रीय विख्यात विद्वान थे, इसलिए इन्हें मरणोपरांत भारत रत्न मिलना चाहिए।

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