बलात्कारी प्रोफेसर को दबोचने में क्यों छोटे पड़ गये पुलिस के लम्बे हाथ?
बलात्कारी प्रोफेसर को दबोचने में क्यों छोटे पड़ गये पुलिस के लम्बे हाथ?
रंजीत सिंह
उरई/जालौन। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपराधियों के खिलाफ जीरो टोलरेंस की नीति अपनाने का चाहे जितने निर्देश पुलिस को देते रहे लेकिन पुलिस अपनी कार्यशैली के हिसाब से ही आगे बढ़ पाती है। भले इसका फायदा अपराधी उठा ले जाए। ऐसा ही मामला जनपद जालौन के कालपी कालेज कालपी के बलात्कारी प्रोफेसर का देखने को मिल रहा है। जिसकी गर्दन को दबोचने में पुलिस के लंबे हाथ छोटे पड़ते जा रहे है। जिसका फायदा आरोपी उठाने में लगा है। सवाल उठता है कि एक चोरी जैसी घटना के आरोपी को दबोचने के लिए पुलिस उसके बूढ़े मां बाप को दबाब बनाने के लिए आधी रात को घर से उठा लेती है लेकिन एक बलात्कारी प्रोफेसर को दबोचने में पुलिस नये-नये कानून गढ़ कर दलित पीड़िता को गुमराह करने में लगी है। आज जिला मुख्यालय पहुंची पीड़ित दलित छात्रा ने एसपी कार्यालय के सामने जालौन रोड पर हाथ में तख्ती लेकर मीडिया और जनसामान्य को अपने साथ हो रहे अन्याय और अपराधी को बचाने के पुलिस अधिकारियों के रवैये पर सवाल उठाए। उसने अपनी जान को भी खतरा बताया। फिर भी पुलिस ने उसे रोड से उठाकर कालपी के लिए पैक कर दिया।
चार साल से शोषण कर रहा था प्रोफेसर
कालपी कालेज कालपी का प्रोफेसर संतोष कुमार पांडेय जो शारीरिक शिक्षक है। नाबालिग दलित बालिका को गुमराह कर शारीरिक शोषण कर रहा था और शोषण का एक बार वीडियो बना लेने के बाद वह लगातार शोषण करता है। पीड़िता आवाज उठाती रही और उसे जुबान बंद रखने का लालच भी दिया गया लेकिन जब वह नही मानी तब बलात्कारी प्रोफेसर के खिलाफ पुलिस को मुकदमा पंजीकृत करना पड़ा। हालांकि पिछले चार सालों में शोषण के दौरान उसके भाई व पिता की हत्या की धमकी देने, वीडियो वायरल करने की धमकी से चुप कराने वाले बलात्कारी प्रोफेसर ने पीड़िता की मारपीट एवं मानसिक व शारीरिक रूप से प्रताड़ित करने की इंतहा कर दी।
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी दबा रहे मामले को?
जिला मुख्यालय उरई एसपी कार्यालय के सामने मीडिया कर्मियों से आपबीती सुना रही दलित पीड़िता ने पुलिस अधिकारियों पर भी बलात्कारी प्रोफेसर को बचाने और उसे कोर्ट कचहरी की शरण लेने की छूट देने का आरोप मढ़ा। पीड़िता का कहना था कि एफआईआर के बाद उसके सभी बयान हो गये है। इसके बाद भी कालपी के पुलिस अधिकारी उस रात 10 बजे तक पूछताछ के नाम पर बैठाये रखा है और न तो कुछ पूछते है और न बताते है। इसके पहले वह पुलिस अधीक्षक कार्यालय में भी न्याय की गुहार लगाने आई थी लेकिन एसपी कार्यालय से उसे भगा दिया गया। जिससे लगता है कि सब बलात्कारी प्रोफेसर को बचाने में लगे है।
तब तो बेमानी है महिला सुरक्षा विशेष दल
आबादी, बाजार, भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में पहुंचकर बालिकाओं, महिलाओं के उत्पीड़न की रोकथाम के लिए जागरूक करने वाले महिला सुरक्षा विशेष दल आये दिन सार्वजनिक स्थानों पर घूमते युवकों को पूंछतांछ कर चेतावनी देने के रोज फोटो और समाचार सुर्खियों में लाने में जो ऊर्जा खर्च करते है। ऐसे विशेष दलों को शिक्षा के मंदिरों में बैठे प्रोफेसर संतोष पांडेय जैसे हबस के भेड़ियों को सबक सिखाने के लिए भी आगे आना चाहिए और पुलिस अधिकारियों को भी सभी बलात्कारियों फिर वह सवर्ण प्रोफेसर ही क्यों न हो उसके खिलाफ भी उसी कैटागरी में कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए। नही तो फिर महिला सुरक्षा विशेष दलों को बालिकाओं से ज्यादा कालेजों में बैठे संतोश पांडेय जैसी मानसिकता वाले प्रोफेसरों को जागरूक करने का अभियान चलाना चाहिए। जिससे उनके कालेज एवं उनके घर के आसपास रहने वाली बच्चियां सुरक्षित रह सके।
बलात्कारी की गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे: एएसपी
कालपी निवासी दलित पीड़िता के द्वारा आज उरई में बलात्कार के आरोपी प्रोफेसर की गिरफ्तारी करने में लापरवाही बरतने और पुलिस अधिकारियों द्वारा उसे संरक्षण देने के भले ही आरोप लगाये गये हो लेकिन पुलिस पीड़िता के बयान से इत्तेफाक नही रखती है। जब इस संबंध में अपर पुलिस अधीक्षक असीम चौधरी से जानकारी चाही गयी तो उन्होने बताया कि दलित पीड़िता के बलात्कार के आरोपी प्रोफेसर संतोश पांडेय की गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे है। कब तक आरोपी पुलिस की गिरफ्त में होगा। वह यह नही बता पाये। कुछ भी हो सत्तारूढ़ भाजपा के मंत्री, विधायक, सांसद भी बलात्कार के आरोपी प्रोफेसर के खिलाफ मुंह खोलने को तैयार नही दिख रहे है।
आधुनिक तकनीक से करायें प्रचार, बिजनेस बढ़ाने पर करें विचार
हमारे न्यूज पोर्टल पर करायें सस्ते दर पर प्रचार प्रसार।