जिला अस्पताल का रास्ता क्यों भूल रहे धरती के भगवान?
जिन्दगी और मौत के बीच हंसता काल तड़पता मरीज, परेशान हो रहे तीमारदार
जिला अस्पताल में गम्भीर मरीजों का होता जुगाड़ से उपचार
विशाल रस्तोगी
सीतापुर। आखिर जिला अस्पताल का रास्ता धरती के भगवान क्यो भूल गये। गम्भीर मर्जो से तड़पते मरीज का उपचार जुगाड़ से किया जा रहा है। जिला अस्पताल में दिल का कोई भी डाक्टर नही है यहां पर जुगाड़ लगाकर फिजीसियन द्वारा दिल के मरीजो का उपचार किया जा रहा है। दिल की बीमारियां मरीजों को मौत की बलिवेदी पर चढ़ा रही है। मरीज दर्द से परेशान है तो तीमारदार अपने मरीज का दर्द देखकर परेशान है। इसके अलावा अन्य विभाग में डॉक्टरों की कमी है। जिला अस्पताल में सर्जन की दिक्कत से मरीज जूझ रहे है। इसी तरह से अल्ट्रासाउंड में कार्डियोलॉजिस्ट की कमी है। एक ही डाक्टर जिला तथा महिला अस्पताल में अल्ट्रासाउंड करता है।
जिससे दोनो अस्पतालों की व्यवस्थाएं बेपटरी होती जा रही है। गौरतलब हो कि जिला अस्पताल विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी से जूझ रहा है। जिला अस्पताल में जनरल सर्जन, दंत चिकित्सक, ह्दय रोग विशेषज्ञ व बाल रोग विशेषज्ञ की कमी बनी हुई है। इसकी वजह से मरीजों को इलाज कराने में दिक्कतें उठानी पड़ रही है। अस्पताल में स्वीकृत 27 पदों में पांच पद खाली हैं। जिला अस्पताल में काफी समय से चिकित्सकों के पद खाली चल रहे हैं। इसका खामियाजा मरीजों को उठाना पड़ रहा है। अगर ह्दय रोग विशेषज्ञ की बात की जाए तो यह पद 10 साल से अधिक समय से खाली चल रहा है जबकि रोजाना ह्दय रोग से संबंधित 25 से 30 मरीज आते हैं।
कामचलाऊ तरीके से फिजिशियन ही मरीजों का इलाज करते हैं। वह भी गंभीर मरीज सीधे रेफर कर दिए जाते हैं। इसके अलावा जनरल सर्जन का एक पद खाली है। इससे मरीजों को ऑपरेशन कराने में काफी इंतजार करना पड़ता है। इसके अलावा दंत रोग विशेषज्ञ का भी एक पद खाली है। बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. राकेश कुमार का गैर जनपद स्थानांतरण हो जाने के कारण यह पद भी खाली है। जिला अस्पताल आने वाले मरीजों को इलाज कराने के लिए दुश्वारियां उठानी पड़ रही है। जिले में तैनात रहे डॉ. अनिल अग्रवाल सीएमएस के साथ ही जनरल सर्जन थे। अस्पताल आने वाले अधिकतर मरीजों का ऑपरेशन खुद ही करते थे। इससे अस्पताल में सर्जन की कमी नहीं खलती थी। अब सीएमएस के सेवानिवृत्त हो जाने के बाद अधिक दिक्कत आ रही है।
अस्पताल प्रशासन का कहना है कि इसकी जानकारी शासन को दी जा चुकी है।इधर कोरोना संक्रमण व सर्दी के चलते मरीजों की संख्या कम हो रही थी। चिकित्सकों का कहना है कि जैसे-जैसे मौसम गर्म होगा। मरीजों की संख्या बढ़ने लगेगी। सुबह-शाम ठंड व दिन में गर्मी से लोग वायरल फीवर सहित अन्य समस्याओं से ग्रसित होंगे। इससे अस्पताल में मरीजों की संख्या में वृद्धि हो जाएगी। जब चिकित्सकों की कमी बनी हुई है तो यहां पर आने वाले मरीजों को इलाज के लिए इंतजार करना पड़ेगा। इस समय ओपीडी में करीब डेढ़ हजार मरीज रोजाना आ रहे हैं। जिला अस्पताल में अल्ट्रासाउंड जांच भी समस्या बन रही है। कारण, यहां पर तैनात चिकित्सक जिला महिला अस्पताल के मरीजों की भी अल्ट्रासाउंड की जांच करते हैं। जिला महिला अस्पताल में अल्ट्रासाउंड जांच का कोई चिकित्सक न होने से यहां के मरीज जिला अस्पताल पर ही निर्भर रहते है। इसकी वजह से यहां पर जांच कराने वाले मरीजों को कई बार अगले दिन ही आना पड़ता है। तभी मरीजों की जांच हो पाती है।