शर्मनाक: 3 दिन बाद भी पत्रकार पर जानलेवा हमला करने वाले दबंगों को नहीं पकड़ पायी शहर की पुलिस

शर्मनाक: 3 दिन बाद भी पत्रकार पर जानलेवा हमला करने वाले दबंगों को नहीं पकड़ पायी शहर की पुलिस

लचर कार्यशैली से थाना क्षेत्र में बढ़ा अपराध का ग्राफ शातिर अपराधियों से खाकी की रहती जुगलबन्दी
अनुभव शुक्ला
रायबरेली। शहर कोतवाली पुलिस कि लचर कार्यशैली से जहां क्षेत्र में दहशत का माहौल बना हुआ है तो वहीं आक्रोश भी व्याप्त होता जा रहा है। कुख्यात अपराधियों से खाकी की जुगलबंदी अब किसी के गले नहीं उतर रही है। विदित हो कि बीती शुक्रवार को शहर के बीचों बीच सरेराह दिनदहाड़े जिले के एक वरिष्ठ पत्रकार पर प्राणघातक हमला कर लूट की वारदात को अंजाम देने वाले मुख्य शातिर बदमाश को शहर कोतवाली पुलिस ने वारदात में प्रयुक्त किया गया। पत्थर व लूटे रुपए बरामद कर गिरफ्तार कर एक ही आरोपी को जेल भेज अपनी पीठ थपथपा रही है किंतु खाकी के लिए शर्म कि बात यह है कि अभी तक वारदात में शामिल दो अन्य शातिर अपराधियों के गिरेबान तक पुलिस हाथ नहीं पहुंच सके हैं। यदि घायल पत्रकार कि मानें तो खुलेआम घूम रहे दबंग अपराधी लगातार पुनः वारदात को अंजाम देने कि योजना में हैं किंतु खाकी के रहमो-करम से कार्यवाही टेड़ी खीर साबित हो रही है।
दरअसल जेल भेजा गया अभियुक्त शातिर बदमाश बताया जाता है। कहीं और नहीं, बल्कि शहर कोतवाली क्षेत्र के ही निवासी हैं जिनके रसूख में शहर कोतवाली पुलिस दबी हुई है। इन शातिर अपराधियों के खिलाफ पूर्व से कई आपराधिक मुकदमें दर्ज है। यही नहीं, सूत्रों की मानें तो वारदात में शामिल फरार इसके साथी भी बदमाश किस्म के है जिन्हें अभी तक पुलिस नहीं ढूंढ पाई है। रस्सी को सांप बनाने वाली पुलिस को दिनदहाड़े खुलेआम हूई इस वारदात से कोई सीख नहीं मिल रही है, वह अपनी मस्ती की चाल चल रही है। शहर पुलिस की इस लचर कार्यशैली से पत्रकारों में आक्रोश है।
विदित हो कि पत्रकार सुशील सिंह पर 3 दिन पूर्व नामांकन के बाद खबर कवरेज कर घर जाते समय कुछ बेखौफ बदमाशों ने स्कूटी रोककर पत्थर से हमला कर नगदी व चैन लूट ली थी। शहर के बीचों—बीच भीड़—भाड़ इलाके में आचार संहिता लागू के बावजूद घटी। इस घटना ने पुलिस कानून व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर दिया है। जिस तरह से बदमाशों ने पत्रकार के सर पर ताबड़तोड़ पत्थर से प्रहार कर वारदात को अंजाम दिया है जबकि घटना के दिन शहर के कोने-कोने में पुलिस के जवान तैनात रहे। ऐसी स्थिति में सवाल उठता है कि शहर में बदमाश बेखौफ हैं। सबसे बडी विडंबना तो यह है कि समाज के चौथे स्तंभ पर दिनदहाड़े प्राणघातक हमला हुआ और रोज गुड वर्क छपवाने वाली पुलिस के अधिकारी जिला अस्पताल तक पहुंचना मुनासिब नहीं समझा जो निंदनीय है।

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