एनटीपीसी राख ओवर लोडिंग को उजागर करना चाहा तो नौकरी से हाथ धोना पड़ा
एनटीपीसी राख ओवर लोडिंग को उजागर करना चाहा तो नौकरी से हाथ धोना पड़ा
पीड़ित कर्मचारी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर की राख ओवर लोडिंग करने वाले अधिकारी की शिकायत
सचिन चौरसिया
ऊंचाहार, रायबरेली। एनटीपीसी ऊंचाहार स्थित एस डाइक से राख ओवर लोडिंग का मामला आए दिन टी.वी. चैनलों व अखबारों में प्रकाशित होता रहता है। मामले में किसी तरह बीच बचाव कर विभाग के संबंधित अधिकारी मामले में पर्दा डाल देते है लेकिन मामला सुर्खियों में रहने वाली एनटीपीसी के एस डाइक से राख ओवर लोडिंग का है जो एक बार फिर से तूल पकड़ता दिखाई दे रहा है।
जब विभाग में हो रहे भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए संविदा कर्मी के पद पर तैनात कर्मचारी ने मामले उजागर करना चाहा था तो विभाग के संबंधित अधिकारी कर्मचारी के मुंह को बंद करने में लग गए लेकिन मामले में फिर भी सफलता नहीं मिली तो विभागीय अधिकारियों ने कर्मचारी को नौकरी से ही निकाल दिया जहां पीड़ित कर्मचारी ने मामले को उजागर करने के लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर भ्रष्टाचार को उजागर करने की गुहार लगाई है।
बता दें कि गैर जनपदीय प्रतापगढ़ कुंडा के गांव निवासी केरावडीह झोकवारा के मो इमरान ने पत्र में लिखकर आरोप लगाते हुए बताया है कि वह लगभग 15 वर्षो से एनटीपीसी अरखा एस डाइक पर राख लोडिंग कराता था किंतु विभागीय अधिकारी रसूखदारो से मोटी रकम लेकर डंफर व ट्रकों में ओवर लोडिंग कराते थे जिस पर कर्मचारी ने विरोध करते हुए कई बार उच्च अधिकारियों को भी इसकी शिकायत की किंतु आला अफसरों ने कर्मचारी की एक न सुनी, बल्कि कर्मचारी का अल्पसंख्यक होने के कारण उसे जातिसूचक बातें भी बोल देते और वह निराश होकर ड्यूटी पर लौट आता। हद तो तब हो गई जब विभागीय अधिकारियों ने कर्मचारी को नौकरी से ही निकाल दिया।
एस. डाइक पर होने वाली राख ओवरलोडिंग में कर्मचारी ने बताया है कि राख की लोडिंग स्थल से डम्फर की तौल स्थल से महज 40 फिट दूर होती है लेकिन मामले को उजागर करने वाले कर्मचारी को ही विभागीय अधिकारियों ने राख ओवर लोडिंग का जिम्मेदार ठहराते हुए नौकरी से निकाल दिया।
विभागीय अधिकारियों ने सिर्फ एक ही कर्मचारी को नौकरी से नही निकाला है, बल्कि अब तक में ऐसे सैकड़ों कर्मचारी पर आरोप लगाकर नौकरी से निकाल दिया है। अब ऐसे में सवाल ये उठता है कि भाजपा सरकार के शासन काल में यदि भ्रष्टाचारियों पर आवाज उठाने वालो पर ही भ्रष्ट अधिकारी पीड़ित को ही दोषी ठहराकर नौकरी से निकालने लगे तो शायद भ्रष्टाचारियों पर नकेल कसने वाले मुख्यमंत्री का सपना एक मात्र सपना ही रहेगा।
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