जौनपुर में स्वयं के नियम से चलता है यातायात विभाग! | #TejsToday
एक अपराध की दो बार सजा देने में माहिर है यातायात के जवान
यातायात नियमों का उल्लंघन करने वाले दुधारू वाहन चालकों पर मेहरबान है यातायात पुलिस
अजय पांडेय
जौनपुर। यातायात विभाग की सक्रियता व निष्क्रियता दोनों उत्तोलक की भांति जनपद में दिखाई दे रही है। कहीं-कहीं चौराहों पर एक साथ कई यातायात उपनिरीक्षक, एचसीपी और उनके विभाग के आरक्षी, होमगार्ड, पीआरडी के जवानों द्वारा वाहनों का चालान कर दिया जाता है, क्या यह सही है? जबकि यातायात विभाग और स्थानीय पुलिस की देख-रेख में जनपद के अंदर डग्गामार वाहन खूब फूल-फल रहे हैं। विगत वर्षों में जाम को देखते हुए लगभग सभी पड़ाव नगर से दूर कर दिए गए थे। जैसे बदलापुर पड़ाव को कटघरा के बाहर, मड़ियाहूं पड़ाव को रेलवे लाइन के बाहर, जेसीज चौराहे पर लगने वाली गाड़ियां पेट्रोल पंप के पास कर दिया गया है।
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इसके इतर जेसीज चौराहे पर बीच रोड पर डग्गामार वाहन चालक पूरे मौज-मस्ती से सवारियां भरते हैं जिससे जाम की स्थिति और भी भयंकर हो जाती है। जबकि जेसीज चौराहे पर तैनात आरक्षी चाहे वह यातायात विभाग से हो या पुलिस चौकी टीडी कॉलेज थाना लाइन बाजार से हो या उनके सहयोगी गार्ड, सुविधा शुल्क लेकर ऐसे चालकों को सवारी भरने दिया जाता है जिससे आवागमन बाधित होता है और जाम की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। वहीं दूसरी तरफ विभागीय लापरवाही कही जाय या सक्रियता कि एक ही दिन में नगर के अंदर एक ही वाहन का दो बार चालान कर दिया जाता है। इस बाबत पूछे जाने पर अपने विभाग द्वारा वहां चालक की गलती को मानकर उनसे चालान का पैसा जमा कराया जाता है।
इसी तरीके से जो अनियमितताओं का पालन कर रहा है और जो यातायात नियमों का पालन नहीं कर रहा है, उसका चालान होना तो स्वाभाविक है परंतु यदि कोई वाहन स्वामी यातायात नियमों का पालन भी कर रहा हो लेकिन इसके पश्चात उसका चालान कर दिया जाए तो इसका निर्णय करने के लिये किस अधिकारी के पास वाहन स्वामी को जाना चाहिए, ऐसी जानकारी भी होनी चाहिये। एक ही गाड़ी के दो बार चालान कर देने पर चालान करने वाले के विरुद्ध क्या और किस प्रकार की कार्रवाई होनी चाहिये? बताते चलें कि विभाग एक तरफ जहां राजस्व की वसूली का हवाला देकर चौराहों पर चालान करता है। वहीं दूसरी तरफ यातायात विभाग के होमगार्ड/आरक्षी अपनी जेब भरते हैं। राजस्व वसूली के नाम पर यह कहां तक उचित है जबकि यदि औचक निरीक्षण किया जाए तो विभागीय दुपहिया और चार पहिया वाहन एवं आरक्षी सहित विभाग में कार्यरत लोगों के पास भी ड्राइविंग लाइसेंस, वाहन का रजिस्ट्रेशन, इंश्योरेंस आदि नहीं मिलेगा।
ऐसे में इनके ऊपर भी कार्यवाही बनती है। यातायात विभाग की लापरवाही की वजह से आए दिन डग्गामार वाहनों से सड़क दुर्घटना में जानमाल का कितना नुकसान होता है, इसकी भरपाई कहां कैसे किस प्रकार की जाय जबकि ऐसे वाहनों के किसी भी प्रकार से कागजात पूरे नहीं हैं। इसका किसी भी उच्च अधिकारी द्वारा आदेश/निर्देश होना चाहिए कि इस प्रकार की घटनाओं का जिम्मेदार कौन? यदि नगर में जाम लगता है तो क्या सिर्फ और सिर्फ जनता की गलती है? उच्च अधिकारी का ध्यान आकृष्ट कराते हुए बताना है कि गोमती नदी के इस पार या उस पार बसे नगर में कहीं भी वाहन पार्किंग की व्यवस्था न होने से खरीद-फरोख्त करने से यदि दुकान के सामने वाहन खड़े हैं तो खड़े वाहनों का चालान ऑनलाइन करके विभागीय लोग स्वयं से अपनी पीठ थपथपा लेते हैं और विभागीय उच्च अधिकारियों के समक्ष अपने कर्तव्यनिष्ठ होने का तथाकथित प्रमाण देते हैं जबकि वहीं दूसरी तरफ पार्किंग के अभाव में जनमानस अपने वाहनों को दुकान के सामने खड़ी कर निश्चिंत होकर सामान की खरीददारी करता है।
दूसरे दिन उसके मोबाइल पर गाड़ी चालान होने का संदेश पहुंचता है तो वह अवाक हो जाता है। क्या यह उचित है? कई स्थानों पर देखा गया कि आरक्षी के अलावा होमगार्ड व पीआरडी के जवान भी अपनी जेबे भरने से बाज नहीं आते। जैसे यातायात विभाग का पूरा ठीकरा इनके सर बधा हो। उस प्रकार की भाषा में बात करके राजस्व वसूली या सुविधा शुल्क के नाम पर धनराशि लेकर अपनी जेब भरते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि विभागीय सह पर इस तरह के कार्य संपादित कराए जाते हैं। आरक्षी अधीक्षक, यातायात उपाधीक्षक, यातायात निरीक्षक को ध्यान देना चाहिए कि अपने मातहतों को नियमावली के अनुसार कार्य करने की ट्रेनिंग दी जाए। उनको प्रशिक्षण दिया जाए और उन्हें रोड पर चलने वाले वाहनों पर विशेष ध्यान देते हुए जनता को बताने का निर्देश देना चाहिये कि जनपद में अन्य शहरों की भाँति जहां चौराहों पर रेड लाइन की व्यवस्था नहीं है और जहां सकरी सड़कों पर यातायात की भरमार होती है, ऐसे जगहों पर ऑनलाइन चालान करना उचित अथवा अनुचित है।
इसके प्रशिक्षण हेतु वर्कशॉप लगाकर लोगों को बताने की आवश्यकता है। उसके पश्चात यदि नियम का उल्लंघन करते हुए कोई भी पाया जाए तो उसके साथ न्यायिक कार्रवाई निश्चित रूप से होनी चाहिए। यदि इन बिंदुओं पर यातायात विभाग अपनी सक्रियता दिखाये तो सड़कों पर जाम और सड़क सुरक्षा नियमों का उल्लंघन कदापि न हो।