मिट्टी के दीये को लोग दे रहे तवज्जो ग्रामीण क्षेत्र के कारीगर रात दिन कर रहे मेहनत
अनुभव शुक्ला
रायबरेली। जनपद में इस बार दीपावली पर लोग चाइनीज़ झालर और मोमबत्तियों से ज्यादा पारंपरिक मिट्टी के दिया और हांडियों को तवज्जो दी रहे है। अब जब दीपावली को चंद दिन बचे हैं कुम्हारों का काम बढ़ गया है। कुम्हार खुद इस बात को मानते हैं कि पिछले चार पांच सालों से पारंपरिक दियों को लेकर लोगों का रुझान बढ़ा है। पहले जहां घरों में रोशनी के लिए मोमबत्ती और चाइनीज़ झालरों का इस्तेमाल करते थे वहीं अब एक बार फिर मिट्टी के दियों की मांग बढ़ी है।
यही वजह है कि कारीगर दिन रात मेहनत कर बाज़ार की मांग को पूरा करने के लिए काम कर रहे हैं। बाज़ार में मिट्टी के दियों की मांग बढ़ने की एक वजह प्लास्टिक पर लगी रोक को भी मानते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में कारीगर अत्यधिक रुप से मिट्टी के दीपक व अन्य बर्तनों का निर्माण करने में रात-दिन लगे हुए हैं। वहीं सलोन तहसील क्षेत्र स्थित मटका ग्राम सभा निवासी उदयराज मौर्या ने बताया की पारंपरिक दिये से जहां हमें अपने लोगों को लाभ पहुंचाना उद्देश्य है। वहीं पर्यावरण भी इससे शुद्ध रहता है। ग्राहकों का मानना है कि तुलनात्मक रूप से दिये सस्ते भी पड़ते हैं।
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