रोजेदारों को 46 वर्षों से जगाने की परम्परा आज भी कायम
रोजेदारों को 46 वर्षों से जगाने की परम्परा आज भी कायम
देवी प्रसाद शर्मा
आजमगढ़। जिले के मुबारकपुर कौड़िया गांव में गंगा-जमुनी तहजीब देखने को मिली जहां गुलाब यादव नाम के एक व्यक्ति रमजान के महीने में रोजेदारों को जगाने के लिए घर-घर जाते हैं। गुलाब यादव के परिवार ने ये बीड़ा 46 साल पहले उठाया था जिसका अनुश्रवण आज भी यह परिवार कर रहा है। मुस्लिम बाहुल्य मुबारकपुर के इस इलाके में रमजान के महीने में गुलाब यादव सहरी के लिए सभी मुस्लिम परिवारों को घर-घर जाकर प्रतिदिन जगाते रहते है।
गुलाब यादव कहते हैं कि हमारे बाप-दादा ने 1975 से इस काम की शुरुआत की थी। उनके बाद वे इस परंपरा को कायम रखे हुए हैं। पहले उनके पिता जी घर-घर लालटेन लेकर जाते थे। पिता के कार्यो का अनुश्रवण कर अब गुलाब लालटेन की जगह टार्च लेकर पाक माह के रमजान में पूरे एक माह तक लोगों को जगाने के लिए उनके घर-घर जाते हैं।
गुलाब ने बताया कि वह रमजान के महीने में रोज रात में एक बजे घर से निकलकर गांव में घर-घर जाकर सभी के घरों पर डंडा बजाकर और नाम लेकर पुकारते हैं कि उठो सहरी का समय हो गया है। गुलाब के रमजान माह पर किसी रोजेदार को सहरी के समय उठाने की चिंता नहीं, बल्कि उन्हें पता है कि गुलाब घर पर दस्तक देगें इसलिए रोजेदार भी निश्चिंत होकर सोते हैं।
उनके द्वारा लाठी लेकर दरवाजे पर दस्तक या नाम लेकर पुकार लगाने पर कोई बुरा नहीं मानता, बल्कि सभी लोग तारिफ करते है कि गुलाब यादव अपने पिता के कार्यो को एक अच्छे व नेक पुत्र की तरह करते है। गुलाब कहते हैं। उन्हें पूरे रमजान माह रोजेदारों के जगाने से शबाब मिलता है। गुलाब कहते हैं कि उनका परिवार रमजान माह में रोजेदारों को जगाने के लिए करीब 50 वर्षो इस इस कार्य को कर रहा है।
स्थानीय रोजेदारों ने बताया कि पहले गुलाब यादव के बाप-दादा जगा रहे थे परंतु अब गुलाब यादव आते हैं। डंडे से घर के दरवाजों को भी पीटते हैं परंतु कोई भी व्यक्ति इस बात का बुरा नहीं मानता है, बल्कि उनकी प्रशंसा के साथ दुआ भी देता है। यही कारण है कि यह अनोखी परंपरा चली आ रही है।
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