यूपी में भाजपा के 20 सांसदों एवं 24 सीटों पर अभी भी फंसा है पेंच

यूपी में भाजपा के 20 सांसदों एवं 24 सीटों पर अभी भी फंसा है पेंच

अजय कुमार लखनऊ
उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से बीजेपी ने 51 सीटों पर अपने प्रत्याशी तय कर दिये हैं। इस घोषणा में सबसे बड़ी बात यह रही कि कहीं भी विरोध या बगावत के स्वर नहीं सुनाये दिये, एकमात्र बाराबंकी लोकसभा सीट के उम्मीदवार उपेंद्र सिंह रावत ने जरूर चुनाव नहीं लड़ने की इच्छा जताई है, इसके पीछे उनकी पार्टी से किसी तरह की नाराजगी नहीं, बल्कि इनका सोशल मीडिया पर कथित रूप से एक विवादित वीडियो का सामने आना है जिसे रावत ने पूरी तरह से खारिज करके प्राथमिकी दर्ज करा दी है लेकिन इसके साथ ही वीडियो की सच्चाई आने से पूर्व भविष्य में कोई भी चुनाव नहीं लड़ने की भी घोषणा की है।
बाराबंकी से यदि उपेद्र चुनाव नहीं लड़े तो भाजपा को वहां भी नया प्रत्याशी तलाशना होगा। इस तरह से 24 सीटों पर उसे और प्रत्याशी तय करना है, बाकी की 6 सीटें भाजपा ने सहयोगी दलों के लिये छोड़ रखी हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने यूपी में 80 में से 64 सीटें जीती थीं। पहली लिस्ट में भाजपा ने अपने 44 सांसदों को पुनः टिकट दे दिया है। इस तरह से अभी बीजेपी के 20 और सांसदों के भाग्य का फैसला होना बाकी है। यह वह 20 सांसद हैं जिनको लेकर बीजेपी आला कमान के मन में कई किन्तु-परंतु हैं। किसी की उम्र 75 वर्ष से अधिक है तो कोई विवादों में घिरा है। इसी तरह से कुछ सांसदों का कामकाज सही नहीं होने के कारण उनके जीत की संभावनाएं काफी कम हो गई हैं तो कुछ मौजूदा सामाजिक समीकरण के ढांचे में फिट नहीं बैठ रहे हैं। एक सांसद ऐसे भी हैं जो पांच सालों तक अपनी ही सरकार की आलोचना करते रहे। इसके अलावा कुछ वीआईपी सीटों पर भी प्रत्याशी नहीं तय हो पाये हैं,जिसमें रायबरेली, मैनपुरी, सुलतानपुर, पीलीभीत जैसी सीटें शामिल हैं। उक्त में से दो सीटें क्रमशः सुलतानपुर और पीलीभीत से मेनका और वरूण गांधी सांसद हैं।
बहरहाल जिन 20 सांसदों को टिकट नहीं मिला है, उसके अलावा 4 और सीटों को शामिल करके भाजपा को अभी 24 सीटों पर अपने प्रत्याशी तय करने हैं। जिन मौजूदा सांसदों के टिकट घोषित नहीं हुए हैं, वह अपने समर्थकों के साथ लखनऊ से दिल्ली तक प्रयास कर रहे हैं। जानकार बताते हैं कि कुश्ती संघ से विवादों में आए कैसरगंज से भाजपा सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह की जगह पार्टी उनकी पत्नी केतकी सिंह या विधायक बेटे प्रतीक भूषण सिंह को चुनाव लड़ाना चाहती है लेकिन ब्रजभूषण ने टिकट पाने के लिए लखनऊ से दिल्ली तक पूरी ताकत लगा दी है। बरेली से लगातार सांसद रहे संतोष गंगवार को 2019 में मंत्री पद से हटाने के बाद अब चुनावी राजनीति से बाहर रखने की चर्चाएं चल रही हैं। उनके समर्थकों का तर्क है कि 75 वर्ष से अधिक आयु होने पर हेमा मालिनी को टिकट दिया गया है, ऐसे में संतोष गंगवार की दावेदारी भी से बनती है।
उधर देवरिया से संसद और पूर्व प्रदेश अध्य रमापति राम त्रिपाठी ने भी दिल्ली में भाजपा के बड़े पदाधिकारियों से संपर्क बनाकर एक और मौका मांगा है तो सुल्तानपुर से सांसद मेनका गांधी और पीलीभीत से सांसद वरुण गांधी के टिकट पर भी पेंच फंसा है। मोदी की हरी झंडी के बाद पार्टी दोनों में से किसी एक को टिकट दे सकती है। वैसे वरूण गांधी के प्रियंका गांधी के करीब होने की भी बात कही जा रही है। रिश्तों में जमी बर्फ हटाने के लिये वरूण को रायबरेली या अमेठी से मैदान में उतारा जा सकता है।
लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा के प्रत्याशियों की पहली सूची में वंचित रहने के बाद पार्टी के दिग्गज सांसदों ने अपने टिकट के लिए पूरा दम लगा दिया है। राम लहर और मोदी की गारंटी के माहौल में भी दिग्गज चेहरों को चुनाव मैदान से बाहर करने में पार्टी को मशक्कत करनी पड़ेगी। भाजपा ने पहले चरण में यूपी की 80 में से 51 सीटों पर प्रत्याशी घोषित किए हैं। शेष 29 सीटों में से बागपत और बिजनौर पर एनडीए के सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल ने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। आगामी दिनों में 27 सीटों पर प्रत्याशी घोषित होने हैं। इनमें से दो सीटें अपना दल (एस) और सुभासपा को एक सीट मिलेगी। माना जा रहा है कि अपना दल को उसकी दो मौजूदा सीटों राबर्ट्सगंज और मीरजापुर से ही लड़ाया जायेगा। पूर्वांचल की एक-एक सीट सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी और निषाद पार्टी के हिस्से में जायेगी। गाजीपुर और घोषी की सीट इन दलों को दी जा सकती है। कुछ सीटों पर सपा-बसपा छोड़कर बीजेपी में आने वाले नेताओं को भी उतारा जा सकता है।
बहरहाल अभी तक जिन बीजेपी सांसदों के भाग्य का फैसला नहीं हो पाया है, उसमें गाजियाबाद से विजय कुमार, मेरठ से राजेन्द्र अग्रवाल, बागपत से सत्यपाल सिंह, हाथरस से राजबीर दिलेर, कानपुर से सत्यदेव पचौरी, पीलीभीत से वरूण गांधी, बदायूं से संघमित्रा मौर्या, फिरोजाबाद से डा0 चन्द्र जादौन सेन, प्रयागराज से रीता बहुगुणा जोशी, फूलपुर से केसरी देवी पटेल, देवरिया से रमापति राम त्रिपाठी, बलिया से वीरेन्द्र सिंह, मछलीशहर से भोलानाथ, भदोही से रमेश चन्द्र, अलीगढ़ से सतीश कुमार, बरेली से संतोष गंगवार शामिल हैं।
भाजपा ने पहले चरण में यूपी की 80 में से 51 सीटों पर प्रत्याशी घोषित किए हैं। शेष 29 सीटों में से बागपत और बिजनौर पर एनडीए के सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल ने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। आगामी दिनों में 27 सीटों पर प्रत्याशी घोषित होने हैं। इनमें से दो सीटें अपना दल (एस) और सुभासपा को एक सीट मिलेगी। 24 सीटों पर भाजपा अपने प्रत्याशी उतारेगी। जिन मौजूदा सांसदों के टिकट घोषित नहीं हुए हैं, वह अपने समर्थकों के साथ लखनऊ से दिल्ली तक प्रयास कर रहे हैं। जानकार बताते हैं कि कुश्ती संघ से विवादों में आए कैसरगंज से भाजपा सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह की जगह पार्टी उनकी पत्नी केतकी सिंह या विधायक बेटे प्रतीक भूषण सिंह को चुनाव लड़ाना चाहती है लेकिन ब्रजभूषण ने टिकट पाने के लिए लखनऊ से दिल्ली तक पूरी ताकत लगा दी है। बरेली से लगातार सांसद रहे संतोष गंगवार को 2019 में मंत्री पद से हटाने के बाद अब चुनावी राजनीति से बाहर रखने की चर्चाएं चल रही हैं। उनके समर्थकों का तर्क है कि 75 वर्ष से अधिक आयु होने पर हेमा मालिनी को टिकट दिया गया है, ऐसे में संतोष गंगवार की दावेदारी भी से बनती है।

मेनका या वरूण में किसी एक को ही टिकट
देवरिया से संसद और पूर्व प्रदेश अध्य रमापति राम त्रिपाठी ने भी दिल्ली में भाजपा के बड़े पदाधिकारियों से संपर्क बनाकर एक और मौका मांगा है। सुल्तानपुर से सांसद मेनका गांधी और पीलीभीत से सांसद वरुण गांधी के टिकट पर भी पेंच फंसा है। पीएम मोदी की हरी झंडी के बाद पार्टी दोनों में से किसी एक को टिकट दे सकती है। कानपुर के सांसद सत्यदेव पचौरी को फिर से प्रत्याशी बनाने के लिए आरएसएस के कुछ पदाधिकारी पैरवी कर रहे हैं। उधर भाजपा ने बागपत और बिजनौर सीट रालोद को दी है। बिजनौर से लगातार दो बार सांसद रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री सतपाल का टिकट कट गया है। पार्टी की ओर से पहले ही 3 जाट उम्मीदवार उतारने के चलते अब सतपाल सिंह के राजनीतिक भविष्य पर तलवार लटक गई है। बिजनौर से 2019 में भाजपा प्रत्याशी रहे कुंवर भारतेंद्र का टिकट भी कट गया है। सतपाल और भारतेंद्र भी किसी अन्य सीट से दावेदारी कर सकते हैं। कानपुर के सांसद सत्यदेव पचौरी को फिर से प्रत्याशी बनाने के लिए आरएसएस के कुछ पदाधिकारी पैरवी कर रहे हैं। उधर भाजपा ने बागपत और बिजनौर सीट रालोद को दी है। बिजनौर से लगातार दो बार सांसद रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री सतपाल का टिकट कट गया है। पार्टी की ओर से पहले ही तीन जाट उम्मीदवार उतारने के चलते अब सतपाल सिंह के राजनीतिक भविष्य पर तलवार लटक गई है। बिजनौर से 2019 में भाजपा प्रत्याशी रहे कुंवर भारतेंद्र का टिकट भी कट गया है। सतपाल और भारतेंद्र भी किसी अन्य सीट से दावेदारी कर सकते हैं।

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