किसानों पर भारी पड़ रही तहसील की मनमानी
प्राचीन चकरोड पर प्रशासन ने कब्जा कर बंद कर दिया किसानों का मुख्य रास्ता
खेती करने में किसानों को रही दिक्कत
विशाल रस्तोगी
सीतापुर। तहसील प्रशासन की मनमानी किसानों पर भारी पड़ रही है। कनवाखेड़ा रस्यौरा मार्ग के पास स्थित प्राचीन चकरोड जिस का उपयोग करके किसान अपनी खेती किसानी करते थे, उसी चकरोड से किसान अपने बैल वगैरह ले जाते थे और जुताई करते थे। सरकारी दस्तोवेजों में इस जमीन को बंजर भूमि के नाम से अंमित किय गया है। यह चकरोड किसानो के लिये वरदान साबित हो रहा था लेकिन विगत दिवस तहसील प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी मय पुलिस बल के साथ रस्योैरा कनवाखेड़ा पहुंचे और चकरोड पर कब्जा कर लिया। किसानों को उस समय हैरत हुई जब चकरोड पर तहसील प्रशासन का बुलडोजर गर्जने लगा। किसान तब तक कुछ समझ पाते है तहसील प्रशासन के बुलाडोजर ने चकरोड का नामो निशान मिटा दिया।
जब किसानों ने इसका विरोध किया तो तहसील प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों ने कहा कि सड़क का चौड़ी करण हो रहा है इस कारण चकरोड की खुंदाई करनी पड़ी जबकि यह चकरोड़ बेहद प्राचीन है और कई्र गांवों के किसानों इसी चकरोड का सहारा लेकन अपने ख्ेातों तक जाते है और खेती किसानी करते थे। किसान सतीश यादव, अर्जुन यादव, दुर्गविजय सिंह यादव, पृथ्वी सिंह यादव माने तो इसी चकरोड का सहारा लेकर हम लोग वर्षो से खेती किसानी करते आ रहे है और अब तहसील प्रशासन द्वारा इस चकरोड की खुदाई कर दी गयी है।
इस कारण हम लोगों को राह निकलने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है क्येाकि तहसील प्रशासन ने हम लोगो का प्राचीन रास्ता पूरी तरह से बंद कर दिया है। किसानों का कहना है कि जिस तरह से अचानक चकरोड खोदा गया है, उसको खोदने की कोई जरूरत नही थी इसके पीछे तहसील प्रशासन की मंशा क्या है? इसका खुला होना चाहिए, क्योंकि यह चकरोड सड़क से मिला हुआ था आखिर तहसील प्रशासन ने हम लोगों का रास्ता क्यो बंद कर दिया, इसका जवाब तहसील प्रशासन को देना चाहिए?
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