रूपा गोयल
बांदा। जनपद के उच्च प्राथमिक विद्यालय नांदादेव क्षेत्र जसपुरा के शिक्षक कुलदीप त्रिपाठी ने बांदा जिले का शब्दकोश तैयार किया है। कुलदीप महुआ ब्लाक के ग्राम घुरौंडा के निवासी है। इस पुस्तक में उन्होंने बांदा जिले का इतिहास, लोकोत्तियां और कहावतो का संग्रह किया है। क्षेत्रीय भाषाओं के 8000 से अधिक शब्दो का शब्दकोश तैयार कर बोली के शब्दों को बचाने का महत्वपूर्ण कार्य किया है। उल्लेखनीय है कि हिंदी साहित्य के लब्ध प्रतिष्ठित विद्वान, कवि और साहित्यकार डा. चंद्रिका प्रसाद ललित ने भी इस कृति का अवलोकन करते हुये कहा कि बांदा जनपद के सांस्कृतिक और सामाजिक जीवन के अध्ययन में जनपद की बोली और भाषा, मुहावरों, लोकोक्तियां का संकलन कुलदीप की अध्ययन और अध्यवसाय की एक ऐसी कृति है जिसका महत्व भाषा और बोली विज्ञान की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण सिद्ध होगा। इसी संदर्भ में पदम श्री उपाधि से सम्मानित उमाशंकर पांडेय ने इस कृति के संबंध में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि बुंदेलखंड की संस्कृति को बचाने के लिए जैसे जल का संरक्षण जरूरी है, उसी प्रकार संस्कृति की आत्मा को बचाने के लिए इस क्षेत्र की भाषा और बोली को संरक्षित करना अति आवश्यक है। त्रिपाठी जी का कार्य सर्वथा प्रसंसनीय है। आर्थिक अपराध अनुसंधान विभाग के ज्येष्ठ अभियोजन अधिकारी, राम किशोर त्रिपाठी ने कहा कि सही अभिव्यक्ति के लिए सही शब्द का चयन आवश्यक है। सही शब्द के चयन के लिए शब्द संकलन आवश्यक हैं। ये आंचलिक शब्दकोश, क्षेत्रीय बोली के विकाश में निश्चित ही सहायक होगा। इस नई कृति को शिक्षकों, साहित्यकारों और कवियों ने एक महत्वपूर्ण विकास में सोपान के रूप में स्वीकार करते हुए कहा कि शिक्षा जगत और साहित्य के संबंधों को बचाए रखना परम आवश्यक है। पत्रकार दिनेश सिंह ने पुस्तक अवलोकन उपरांत कहा कि की यह पुस्तक वास्तव में शब्दकोश के क्षेत्र में प्रथम पुस्तक है और इस तरह के प्रयासों से हम अपने संस्कृति और प्राचीनता को बचाए रख सकते हैं।
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