'Jeejeevisha'

‘जिजीविषा’

जिजीविषा...? जीने की उत्कट अभिलाषा सहस्त्रों वर्षों से यूं ही दुःखों पीड़ाओं को भूल मौत को भी मात देती हाड़-मांस की नश्वर देह। इतना ही नहीं उन शत-कोटि देवताओं को खुली चुनौती देती मर्त्य-आत्माओं की अघोषित रणभेरी माना कि तुम बने अमर, हुए शतायु पा ली देवत्व की प्रतिष्ठा पीकर समुद्र मंथन...
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