निलम्बित आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल को सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली राहत

निलम्बित आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल को सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली राहत

अगली सुनवाई 30 अक्टूबर को
नीरज कुमार
रांची/नई दिल्ली। झारखण्ड के खूंटी जिले में हुई मनरेगा घोटाला और मनी लॉन्ड्रिंग मामले की आरोपी निलंबित आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल की ओर से दायर जमानत याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच में मामले की सुनवाई हुई। पूजा सिंघल की ओर से वरीय अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने मामले में बहस की। वहीं ईडी की ओर से असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने पक्ष रखा। पूजा सिंघल के अधिवक्ता ने कोर्ट से बेल देने का आग्रह किया, जिसका ईडी के अधिवक्ता ने पुरजोर विरोध किया। जिसके बाद शीर्ष अदालत ने जमानत अर्जी पर अगली सुनवाई के लिए 30 अक्टूबर की तिथि निर्धारित कर दी। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने पूजा सिंघल की मेडिकल रिपोर्ट मांगी है। सुप्रीम कोर्ट ने पूजा सिंघल के वकील से पूछा कि कितने गवाहों की गवाही हो चुकी है? पूजा सिंघल के वकील ने 4 गवाहों की गवाही की बात कही। जबकि मामले में कुल 43 गवाह हैं। बीमारी के आधार पर पूजा सिंघल ने जमानत की मांग की हैं।

पूजा सिंघल की क्यों हुई थी गिरफ्तारी?
झारखण्ड के खूंटी जिले में हुई मनरेगा घोटाला और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में 6 मई 2022 को प्रवर्तन निदेशालय की टीम के द्वारा आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल और उनके करीबियों के दो दर्जन से ज्यादा ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की थी। छापेमारी के दौरान पूजा सिंघल और उनके पति अभिषेक झा के चार्टर्ड अकाउंटेंट सुमन सिंह के आवास से कथित तौर पर 19 करोड़ से ज्यादा नगद रुपए की बरामदगी हुई थी। भारी मात्रा में नगद बरामदगी के बाद ईडी की टीम द्वारा 11 मई 2022 को आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल को गिरफ्तार कर लिया गया था।

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