कलम की जगह बच्चों के हाथों में गाड़ियों की स्टेरिंग
उदय कुमार
हिसुआ, नवादा (बिहार)। हिसुआ बाजार एवं आस-पास के गाँवों के सड़कों पर आजकल टोटो, टेम्पो और ट्रेक्टर जैसी गाड़ियों को चलाते हुए काफी संख्या में नाबालिग बच्चे नजर आता है। जिस उम्र में इन बच्चों के हाथों में किताब-कॉपी और कलम होनी चाहिए उस उम्र में न जाने किस मजबूरी में ड्राइविंग और अन्य मजदूरी करने को ये बच्चे विवश है। अगर मजबूरी में छोटे-छोटे बच्चे मजदूरी करने को विवश है तो फिर यह एक गंभीर मामला है।
जिसे समाज, परिवार और प्रशासन को काफी गंभीरता से लेना चाहिए और इसे दूर करने के लिए एक मुहीम चलना चाहिए। जिससे इन नोनीहालों का भी भविष्य बेहतर बन सके और ईस तरह के बच्चे भी अन्य बच्चों के तरह समाज की मुख्यधारा से जुड़ सके। यह जटिल समस्या प्रसाशनिक सहयोग और उन परिवार वालों के मजबूरीयों के तह में जाकर उनकी परेशानियों को दूर कर नन्हें मजदूरों के परिजनों को अपने बच्चों को ससमय विद्यालय भेजने से कुछ सुधार की गुंजाईश हो सकती है। जिस तरह से छोटे-छोटे बच्चे सड़कों पर फर्राटे के साथ वाहनों को चला रहा है।
उससे सबसे बड़ी समस्या आम लोगों में उतपन्न हो रही है, क्योंकि आये दिन ऐसे नन्हें चालकों द्वारा एक्सीडेंट करने पर न जाने कितने आम लोगों नें अपनी जान गंवाया है। आये दिन कभी किसी की सुहाग या किसी की गोद सुनी हो रही है, लेकिन परिवहन विभाग इन बातों से बिलकुल अनजान है या फिर किसी और मजबूरी के कारण ऐसे गाड़ियों पर कारवाई नहीं कर रही है। आम नागरिकों को इनकी लापरवाही का खामियाजा भुगतने के लिए छोड़ दिया है। सबसे विचित्र नजारा सुबह का होता है। जब लोग मॉर्निंग वॉक के लिए सड़कों पर निकलते है, लेकिन उसी समय से इन नावालीग ट्रेक्टर चालकों द्वारा आस-पास के नदियों से ट्रेक्टरों में बालू भरकर पूरी रफ्तार के साथ अश्लील गाना बजाते हुए बाजार और आस -पास के गंतव्य स्थानों पर बालू पहुंचाया जाता है।
सुबह के वक्त भी लोगों को काफी सम्भल कर सड़कों पर चलना पड़ता है, जबकि उस वक्त अन्य व्यवसायिक वाहन काफी कम चला करता है।बालू माफियाओं के द्वारा भी जान बुझ कर छोटे-छोटे बच्चों से ट्रेक्टर चलवाया जाता ताकि बालू घाटों पर खनन विभाग की छापेमारी में प्रसाशन इन बच्चों पर शक नहीं करता है। ऐसे चालक बच्चे बहुत हीं आसानी से गाड़ी छोड़कर प्रसाशन की आँखों के सामने गायब हो जाता। खैर विडंबना चाहे जो भी हो समय रहते प्रसाशन को ईस कालरूपी समस्या का निदान करने की आवश्यकता है। वरना हर दिन किसी की गोद तो किसी की माँग सुनी होती रहेगी।
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