विश्व रेडियो दिवस पर पत्रकारिता विभाग में संगोष्ठी आयोजित
विश्व रेडियो दिवस पर पत्रकारिता विभाग में संगोष्ठी आयोजित
मुकेश तिवारी
झांसी। बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के जनसंचार एवं पत्रकारिता विभाग में विश्व रेडियो दिवस पर संगोष्ठी का आयोजन हुआ जहां डाॅ कौशल त्रिपाठी ने बताया कि 13 फरवरी को मनाए जाने वाले विश्व रेडियो दिवस का विषय ‘रेडियो सूचना, मनोरंजन और शिक्षित करने वाली एक सदी’ है। संयुक्त राष्ट्र का कहना है, 2024 का उत्सव रेडियो के इतिहास, समाचार, नाटक, संगीत और खेल पर इसके शक्तिशाली प्रभाव पर प्रकाश डालता है। यह तूफान, भूकंप, बाढ़, गर्मी, जंगल की आग, दुर्घटनाओं और युद्ध जैसी प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं के कारण होने वाली आपात स्थितियों में भी कारगार है। इसके अलावा, रेडियो निरंतर लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाये रखने का माध्यम है। डाॅ राघवेंद्र दीक्षित ने विश्व रेडियो दिवस मानाये जाने के विषय में जानकारी देते हुए बताया कि स्पेन के एक प्रस्ताव के बाद, यूनेस्को के कार्यकारी बोर्ड ने 2011 में यूनेस्को द्वारा की गई एक परामर्श प्रक्रिया के आधार पर, सामान्य सम्मेलन में विश्व रेडियो दिवस की घोषणा की सिफारिश की। इसके बाद यूनेस्को के तत्कालीन महानिदेशक ने संयुक्त राष्ट्र रेडियो के गठन का प्रस्ताव रखा। 13 फरवरी 1946 और उसके बाद अपने 36वें सत्र में, यूनेस्को ने 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस के रूप में घोषित किया। उमेश शुक्ला सहायक आचार्य पत्रकारिता विभाग ने बताया कि रेडियो, एक कम लागत वाला माध्यम है जो विशेष रूप से दूरदराज के समुदायों और कमजोर लोगों तक पहुंचने के लिए उपयुक्त है, इसने एक शताब्दी से अधिक समय से सार्वजनिक बहस में हस्तक्षेप करने के लिए एक मंच प्रदान किया है और लोगों के शैक्षिक स्तर के बावजूद, यह आपातकालीन संचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) के अनुसार, रेडियो ने 100 साल का मील का पत्थर पार कर लिया है, इसलिए यह माध्यम के व्यापक गुणों और निरंतर क्षमता का जश्न मनाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। आज यह अपने दर्शकों और राजस्व संख्या के लिए चुनौतियों का सामना कर रहा है। डिजिटल प्लेटफॉर्म, सोशल मीडिया, डिजिटल और पीढ़ीगत विभाजन, सेंसरशिप, एकीकरण और आर्थिक कठिनाइयाँ के बावजुद आज भी रेडियो आमजनमानस का प्रतिधिनित्व करता है। इस दौरान बीए एमसीजे की रितिका अग्रवाल, हिना सिंह, अवनी जैन, शिवांश झा, आशुतोष नायक, गोरी मादी, काब्या अड़जरिया, सोनाली यादव, अदिति तिवारी, श्वेता सिंघवानी, पुलकित बुधौलिया, सत्यम यादव ने भी अपने विचार रखे। इस अवसर पर डाॅ अभिशेक कुमार, अतीत विजय सहित तमाम लोग उपस्थित रहे।
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