सुनील जैसे सचिव के घोटालों का परिणाम है बगावत
सुनील जैसे सचिव के घोटालों का परिणाम है बगावत
पिसावा ब्लाक की ग्रामसभाओं में मिल रहे गौशाला घोटालो के संकेत
विशाल रस्तोगी
सीतापुर। दबंगता और धमकी के बल पर तो हकीकत को नहीं छिपाया जाता है। जब किसी चीज की सीमा लांघ जाती है जनता बगावत तभी करती है। पिसावां ब्लाक की ग्रामसभाएं घोटालों से कराह रही है और जो व्यक्ति सत्य कहता है, उसकी जुबान को अश्वनी, सुनील जैसे दबंग सचिव दबाने लगते हैं। सत्य का उजाकर करने वाले को यह सचिव डराते हैं। धमकाते हैं। उसके साथ बेहद गन्दा व्यवहार करते हैं। उसको सार्वजनिक रूप से जलील करने की कोशिश करते हैं।
सचिव सुनील और अश्वनी जनता पर रूतबा पिछले काफी दिनों से गांठ रहे हैं। ब्लाक जनता जानती है कि घोटालों को अंजाम देने वाले सचिव जेई प्रधान पर ब्लाक स्तर से कार्यवाही हो ही नहीं सकती है, क्योंकि इस खेल में ब्लाक के सभी अधिकारी शामिल है। यही कारण रहा कि गौशलााओं में घोटाला और गायों की मौत हो रही है, उनके रहने का अस्थाई स्थान तक नहीं है। इन सभी बातों को लेकर जनता में आक्रोश आ गया और जनता बगावत पर उतर आयी। पुलिस ने धैर्य और सूझ-बूझ का परिचय दिया और मामला शांत रहा। कानून व्यवस्था पटरी पर रही। पिसावां ब्लाक पर तैनात सचिव सुनील, अश्वनी जैसे अन्य सचिवों का आलम यह है कि इनके लिये शासनादेश और सीएम योगी के आदेशों को मायने नहीं रखते हैं। इन सचिवों की जुबान से जो शब्द निकलता है, प्रधानों के लिये वही शासनादेश हो जाता है। यह दोनों सचिव इतने दबंग है कि जनता इनसे बचती है।
इनकी भाषाशैली बेहद गन्दी है। इस कारण आये दिन इन सचिवों का विवाद हुआ करता है। एक ही ब्लाक से जब दोहरे मापदण्ड आये तो अधिकारियों के बयान अलग-अलग तो उगल रहे हो तो घोटालों की बू आने ही लगती है। बातचीत के दौरान पता चला कि सचिव अश्वनी के पास पिसावां ब्लाक की 8 ग्रामसभाएं हैं। उन्होंने अपने बयान में साफ कहा कि हमारी ग्रामसभा में एक भी गौशाला नहीं बनाई गयी है जबकि बगावत के बाद जेई धीरेन्द्र ने सार्वजनिक किया कि हनर ग्रामसभा स्तर पर पन्नी वाली गौशालस बनी थीं लेकिन आंधी पानी में उड़ गयी। जेई धीरेन्द्र ने अपना पक्षा रखा। क्या यह माना जा सकता है कि पूरे ब्लाक की अधिकांश पन्नी वाली गौशालएं आंधी-पानी में उड़ गयी। फिर सचिव अश्वनी यह कहते क्यों घूम रहे हैं कि हमारी ग्रामसभा में एक भी गौशाला नहीं है। जेई कह रहे हैं कि इस समय न्याय पंचायत पर एक गौशाला है। उसी में जानवरांे को रखा जा रहा है। मोहरैया में विवाद हुआ गौवंश की मौत हुई और जेई के कई ऐसे कारण थे जिससे विवाद छिड़ गया लेकिन मुख्य जड़ तो घोटालेबाजी की रही है। अगर पन्नी वाली गौशालाओं में घोटालेबाजी न की गयी होती तो आज यह नौबत नहीं आती, जनता बगावत नहीं करती।
शुक्र हो कोतवाल का जिन्होंने कानून व्यवस्था को पटरी से उतरने नहीं दिया। सचिव अश्वनी और सुनील ऐसे सचिव हैं कि यह अपने निजी स्वार्थ के लिये कोई भी दल कपट कर सकते हैं। अपनी जेबों का वजन तौलने के लिये इन दोनों सचिवों ने गौशाला घोटाले को अंजाम दे दिया और सचिव अश्वनी बड़ी शान से कह रहे हैं कि हमारी ग्रामसभा में एक भी गौशाला नहीं है। बताया जा रहा है कि घोटालोबाज अश्वनी का तबादला भी हो रहा है या फिर हो चुका है। इसकी अभी पुष्टि नहीं हो सकी है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि जो भी कलमकार हकीकत को दर्शाने की कोशिश करता है, यह सचिव उस कलमकार से लड़ने और मारपीट पर अमादा हो जाते हैं। यानी यह सचिव सुनील, अश्वनी ऐसे सचिव हैं जो खुलेआम घोटाले करते हैं। झूठे बयान और वर्जन देते हैं। इसके बाद लड़ने पर अमादा रहते हैं। यही कारण रहा है कि विगत दिवस मोहरनिया की जनता के बगावत कर दी।
जाचं करने जेई धीरेन्द्र कर रहे हैं जबकि धीरेन्द्र कुछ जांच के दायरे में आ रहे हैं, क्योंकि जेई धीरेन्द्र को इन घोटालोबाजों का खास और संरक्षणदाता होना बताया जा रहा है। जनता की मांग है कि पिसांवा ब्लाक की जांच किसी अन्य अधिकारी से कराई जाय। ब्लाक के अधिकारी एक ही थाली के बैंगन हैं। धीरेन्द्र की जांच से स्पष्ट हो रहा है कि आंधी और पानी से सभी पन्न वाली अस्थाई गौशालाएं उड़ गयी। जांच उच्चस्तरीय हो जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो जाय। अभी तो मोहरनिया ग्रामसभा में बगावत के स्वर गूंजे हैं। अगर ठोस कदम नहीं उठाये गये तो ढकिया कलां, हरनी कलां, उर्मिला नेवादा द्वितीय का भी यही हाल होगा।
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