विशाल रस्तोगी सीतापुर। अगर किसी को बंदर, कुत्ता, बिल्ली, सियार, लोमड़ी और नेवला काट लें तो वह इंसान रैबीज से पीड़ित हो सकता है। पीड़ित को तुरंत ही नजदीक के स्वास्थ्य केंद्र पर या चिकित्सक के पास ले जाना चाहिए। यह बात अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. पीके सिंह ने बुधवार को विश्व रैबीज दिवस के मौके पर सीएमओ कार्यालय के सभागार में आयोजित संगोष्ठी में कही।
उन्होंने कहा कि जिला चिकित्सालय सहित सभी सीएचसी व पीएचसी पर रैबीज से बचाव के लिए मुफ्त एआरवी टीके लगाने की सुविधा है। उन्होंने बताया कि रैबीज के लक्षण ज्यादातर मामलों में तीन महीने में लक्षण नजर आने लगते हैं। लेकिन कुछ मामलों में कई वर्षों बाद भी यह बीमारी हो सकती है। टीकाकरण ही इसका एकमात्र बचाव है। यह टीका पशु के काटने के 72 घंटे के भीतर लगवाना चाहिए।
आधुनिक तकनीक से करायें प्रचार, बिजनेस बढ़ाने पर करें विचार हमारे न्यूज पोर्टल पर करायें सस्ते दर पर प्रचार प्रसार।