विलुप्त हो रही नन्ही गौरेया को बचाने का लिया गया संकल्प
अतुल राय
वाराणसी। घरों में चहचहाट से सन्नाटा तोड़ने वाली नन्हीं गौरेया बचपन में आंगन और मुंडेर पर चहचहाते हुए दिखाई देती थी लेकिन अब वैज्ञानिक विकास युग में धीरे- धीरे विलुप्त होती जा रही है।
इन चहचहाती गौरैये की प्रजाति को बचाने के लिए लोगो को अपने घर आंगन में उन्हीं रहने के लिए स्थान देने की जरूरत आ गई है। आज विश्व गौरैया दिवस पर नमो नमः सेवा दल बरेमा के अध्यक्ष रंजीत तिवारी ने अपने घर के आंगन में नन्ही गौरेया के लिए लकड़ी का घर बना कर उन्हे रहने के लिए स्थान की व्यवस्था किया।
उधर पर्यावरण प्रेमी मनीष पटेल कई वर्षों से गौरैया के लिए पानी, चारा, घोसला लगाकर उन्हें बचाने का प्रयास कर रहे हैं।
बीडीसी रामेश्वर विशाल गुप्ता पक्षी प्रेमी प्रितेश तिवारी ने लोगों से गर्मी के दिनों में छत और आंगन में पानी और दाना रखने की अपील किया जिससे पंछियों को अपना जीवन जीने में कोई दिक्कत न हो सके। गौरैया बचाने के लिए कई लोगों ने संकल्प लिया।
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