कार्यवाही का आदेश, फिर भी तहसील का बुलडोजर पड़ा शान्त
कार्यवाही का आदेश, फिर भी तहसील का बुलडोजर पड़ा शान्त
लहरपुर के विभागीय अधिकारी क्यों नहीं कर रहे शासनादेश का पालन
विशाल रस्तोगी
सीतापुर। लहरपुर तहसील प्रशासन का बुलडोजर खामोश क्यों है। वह गरज क्यों नहीं रहा है। कार्यवाही के आदेश होने के बाद लहरपुर क्षेत्र के ईंट भट्ठांे पर कार्यवाही क्यों नहीं हो रही है। सिस्टम में कहां से कमी है आई जो तहसील प्रशासन का बलडोजर गरज क्यों नहीं रहा है। एसडीएम लहरपुर द्वारा अवैध ईंट भट्ठों पर की गई बुलडोजर कार्यवाही जो महज अब जनमानस के बीच छलावा बनकर रह गयी है जिसकी बातें अब हर तरफ की जा रही हैं।
विश्लेषकों की बात की जाए तो मानना है कि जिस तरह से बुलडोजर के नाम से माफिया राज व अनैतिक कार्यों में लिप्त सहम जाते थे परंतु अब इस तरह से जो कार्यवाहियां लहरपुर में एसडीएम पीएल मौर्या द्वारा बिना एनओसी ईंट भट्ठों पर की गयी कितना असर रहा, बताने की आवश्यकता नहीं। यह हैरत की बात यह है कि बड़े से बड़ा जो कद्दावर की श्रेणी में आते थे। बुलडोजर की कार्यवाही के बाद से कारागार में निरूद्ध हैं। कईयों की सरकार द्वारा सम्पत्तियों को भी जप्त कर लिया गया। यहां शासन के नियमों पर जो प्रशासन द्वारा बुलडोजर कार्यवाही की गयी वह सभी ईंट भट्ठे बराबर संचालित हैं। क्या इनमें कार्यवाही का कोई खौफ नहीं या तहसील प्रशासन की गयी कच्ची ईंटों को तोड़कर कार्यवाही महज छलावा है? जिससे बातें होने लगी हैं कि बुलडोजर तहसील प्रशासन की कार्यवाही का नहीं कमाई का जरिया बन चुका है?कार्यवाही खानापूर्ति बन गयी है।
जो अब तक हो रहा है कि बिना एनओसी ईंट वह तो संचालित हैं जिन पर कार्यवाही नहीं हुई साथ ही वह भी संचालित हो रहे हैं जिन पर कार्यवाही हो चुकी है। अगर संचालित ही रहना था तो कार्यवाही का ड्रामा तहसील प्रशासन द्वारा क्यों किया गया तो जो बातें हो रही हैं, गांधी छाप में देरी के चलते ऐसा किया जाता है। कार्यवाही का इधर नाटक खेला तो उधर से गांधी छाप का भरा सूटकेस मिला? हालांकि यह सभी अपवाद हैं या सत्यता क्या है। हैरत में तो सभी हैं, यहां से यह जिज्ञासा उत्पन्न होती है। तहसील प्रशासन अगर अपने उत्तर दायित्व का पूरी ईमानदारी से पालन कर रहे हैं तो प्रश्न उठता है की कार्यवाही के बाद भी बिना एनओसी भट्ठे कैसे संचालित हैं। अब यह तो तहसील प्रशासन की सकारात्मक कार्यवाही पर निर्भर करता है कि ऐसे ईंट भट्ठों पर प्रशासन द्वारा जो बंदी का आदेश है, सील करें और ईमानदारी का सबूत पेश करें परंतु किसी तरह की कार्यवाही जो यह साबित करंे कि जनमानस में अपवाद जो चल रहे हैं, गलत हैं। ऐसी कार्यवाही न प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से की गयी और न ही तहसील प्रशासन की तरफ से कोई कार्यवाही हुई।
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