राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को भेजा ज्ञापन
चिकित्सा बीमा को लेकर शिक्षकों में व्याप्त है रोष
जितेन्द्र सिंह चौधरी
वाराणसी। उत्तर प्रदेश राज्य में भाजपा की दुबारा सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा 21 अप्रैल को तथा बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह द्वारा 24 अप्रैल को शिक्षकों को 100 दिन में कैशलेस चिकित्सा सुविधा दिए जाने संबंधी ट्वीट किया गया था।
शिक्षकों को कैशलेस चिकित्सा सुविधा दिए जाने के मुख्यमंत्री एवं बेसिक शिक्षा मंत्री के निर्देश के बावजूद बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी लगातार उसकी अवहेलना करते रहे तथा 7 माह बाद शिक्षकों को मुख्यमंत्री एवं बेसिक शिक्षा मंत्री के निःशुल्क चिकित्सा व्यवस्था देने की मंशा के विरुद्ध जाकर सशुल्क 76 हजार रुपए वार्षिक प्रीमियम के साथ स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी खरीदने के लिए सचिव, उ०प्र० बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा आदेश जारी जारी किया गया है जो प्राइवेट कंपनियों के मुकाबले पांच गुना महंगी हैं जो बेसिक शिक्षकों के साथ नि:शुल्क चिकित्सा के नाम पर भीषण छल है जिससे प्रदेश के समस्त शिक्षक आक्रोशित हैं और अपने को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।
बेसिक शिक्षा विभाग के इस छल के खिलाफ राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश ने 16 दिसंबर 2022 को प्रदेश के समस्त जनपदों में जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को बेसिक शिक्षा विभाग के आदेश को निरस्त करने का ज्ञापन देने का निर्णय किया था जिसके क्रम में 16 दिसंबर को राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ वाराणसी ने प्रदेश संयुक्त मंत्री एवं जिलाध्यक्ष शशांक पाण्डेय “शेखर” के नेतृत्व में जिलाधिकारी की अनुपस्थिति में एडीएम प्रोटोकाल बच्चू सिंह को ज्ञापन सौंपा। कार्यकारी जिलाध्यक्ष ज्योति प्रकाश ने बताया कि शुल्क के साथ बीमा चिकित्सा शिक्षकों के साथ घोर छलावा है, यह शिक्षकों के साथ अन्याय है।
ज्ञापन सौंपने के दौरान जिला महामंत्री आनंद सिंह, कार्यकारी जिलाध्यक्ष ज्योति प्रकाश, उपाध्यक्ष अनिल सिंह, दीपिका सिंह, संयुक्त महामंत्री आशुतोष पाण्डेय, संयुक्त मंत्री संजीव त्रिपाठी, अनुराधा भार्गव, मीडिया प्रभारी नंदलाल मौर्या, संगठन मंत्री प्रशांत मोहन गिरी, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के जिलाध्यक्ष शशिकांत श्रीवास्तव, महामंत्री श्यामराज यादव, विजय गुप्ता आदि उपस्थित रहे।
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