अवैध शराब के कारोबार पर नकेल कसने में नसीराबाद पुलिस फेल

अवैध शराब के कारोबार पर नकेल कसने में नसीराबाद पुलिस फेल

28 दिन में अवैध शराब बरामदगी के 16 मुकदमे दर्ज, 260 लीटर अवैध शराब भी बरामद

मो. इसराइल
नसीराबाद, रायबरेली। जहरीली शराब पीने से हुई तमाम मौतों को लेकर भी स्थानीय पुलिस और आबकारी विभाग चेत नहीं रहा है। जिस तरह सेे ग्रामीण क्षेत्रों में अवैध शराब की बिक्री हो रही है, उसको लेकर स्थानीय पुलिस और आबकारी विभाग की भूमिका सवालों के घेरे में है। क्षेत्र में अवैध शराब के कारोबार की रोकथाम के लिए स्थानीय पुलिस आबकारी विभाग होता है जिस पर अवैध शराब की गतिविधियों पर नजर रखने की जिम्मेदारी होती है लेकिन जिस तरह से थाना क्षेत्रों में पुलिस द्वारा आए दिन शराब की बरामदगी हो रही है। उससे कहीं न कहीं नसीराबाद पुलिस और आबकारी विभाग की सक्रियता पर प्रश्नचिन्ह लग रहा है। अब इसे पुलिस की अनदेखी कहें या लचर कार्यशैली जिसके चलते बड़ी संख्या में अवैध शराब का धंधा फल फूल रहा है। इससे जहां राजस्व की क्षति हो रही है, वहीं विभाग अवैध शराब पर नकेल कसने में विफल साबित हो रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में अवैध शराब का धंधा काफी अरसे से फल—फूल रहा है। पुलिस द्वारा अवैध शराब कारोबारियों के खिलाफ धड़पकड़ की कार्रवाई नहीं किए जाने से इन मौत के सौदागरों के हौंसले बुलंद है।
लोगों का कहना है कि जब किसी त्यौहार व प्रदेश में बड़ी घटना होती है तो उस समय आबकारी विभाग फुर्ती दिखाता है लेकिन चंद दिनों बाद ही उसकी रफ्तार मंद हो जाती है। वहीं अगर अधिकारियों का दबाव बनता है तो कुछ लोगों को चंद लीटर अवैध शराब के साथ गिरफ्तारी दिखाकर विभाग इति श्री कर लेता है। नसीराबाद थाना क्षेत्र में स्थानीय पुलिस द्वारा 1 फरवरी से अब तक में थाना क्षेत्र के विभिन्न गांवों से तकरीबन 250 लीटर से अधिक अवैध कच्ची शराब की बरामदगी करते हुए 16 अभियुक्तों पर मुकदमें दर्ज किए है। इसके साथ ही 16 अभियुक्तों को गिरफ्तार भी किया है। एक ही थाना क्षेत्र में एक माह में अवैध शराब के इतने मामले दर्ज होना कहीं ना कहीं अवैध शराब के गोरखधंधे और स्थानीय पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़ा कर रहा है।
तो अधिकांश मामलों में 10 से 20 लीटर ही क्यों होती है शराब की बरामदगी?
अवैध कच्ची शराब पर कार्रवाई की बात की जाए तो पुलिसिया कार्रवाई में पुलिस हमेशा 10 से 20 लीटर ही अवैध शराब ही क्यों बरामद करती है। यह सबसे बड़ा सवाल है। सवाल तो यह भी है कि आखिर जब पुलिस बेंचने वालों पर कार्यवाही करती है तो बनाने वालों पर क्यों नहीं।

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