साइबर क्राइम के भंवरजाल में फंसा सांसद का भविष्य
गोविन्द वर्मा
बाराबंकी। जिले के सांसद उपेंद्र सिंह रावत का भविष्य साइबर अपराध के भंवरजाल में उलझ कर रह गया है। बीते शनिवार के बाद शुरू हुए घटनाक्रम से जिले की राजनीति में उथल पुथल मच गई है। भाजपा शीर्ष नेतृत्व द्वारा बाराबंकी में वर्तमान सांसद उपेंद्र सिंह रावत को दूसरी बार लोकसभा प्रत्याशी घोषित करते ही जिले की राजनीति में भूचाल सा आ गया। प्रत्याशी घोषित होने के बाद सांसद जब धार्मिक स्थलों में पहुंचकर पूजा अर्चना कर रहे थे तभी सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो ने उनके जीवन में तूफान खड़ा कर दिया। चुनाव जैसे नाजुक समय में किसी का चरित्र हनन करने की कोशिश करता हुआ वीडियो वायरल किया जाना एक सोची समझी साजिश का हिस्सा भी हो सकता है। वीडियो वायरल होने की खबर सुनकर एक बार तो पूरा जिला सन्नाटे में आ गया।
सांसद के निजी सचिव द्वारा इस प्रकार के वीडियो को लेकर नगर कोतवाली में मुकदमा दर्ज करवाया गया है। वीडियो की सत्यता को लेकर लोगों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है। पुलिस अधीक्षक द्वारा वीडियो को जांच के लिए फोरेंसिक लैब भेजा जा चुका है। सांसद की लोकप्रियता के चलते भाजपा द्वारा उन्हें दुबारा चुनाव मैदान में उतारना उनके लिए घातक साबित हो रहा है। आमजन में इस बात को लेकर चर्चा जोरों पर है कि पूरे षडयंत्र के पीछे उनके राजनीतिक प्रतिद्वंदी के साथ ही उनका कोई करीबी शामिल है। राजनीति का स्तर इस कदर गिर जाना भविष्य में एक बड़ी चुनौती के रूप में देखा जा रहा है।
बुद्धिजीवी वर्ग की मानें तो पूरे घटनाक्रम में शामिल कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो सांसद को दुबारा प्रत्याशी बनाया जाना गंवारा नहीं कर सका। उसे पूरा भरोसा था कि इस बार भाजपा उपेंद्र की जगह हमें चुनाव मैदान में उतारेगी। लोगों का मानना है कि अपनी उम्मीदों पर पानी फिरता हुआ देखकर उसने ऐसी घटिया चाल चली है। इस मामले को लेकर सांसद द्वारा खुद के निर्दोष साबित न हो जाने तक सार्वजनिक जीवन में किसी प्रकार का चुनाव न लड़ने की घोषणा की गई है।
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