नैतिक सिद्धांत राजनीति से लगभग गायबः अरविन्द वशिष्ठ
नैतिक सिद्धांत राजनीति से लगभग गायबः अरविन्द वशिष्ठ
मुकेश तिवारी
झांसी। गांधी शांति प्रतिष्ठान के तत्वावधान में अरविंद वशिष्ठ के मुख्य अतिथ्य में वरिष्ठ गांधीवादी नेता श्रीराम बिलगैया की अध्यक्षता में गोष्ठी हुई जहां श्री वशिष्ठ ने कहा कि आज जब नैतिक सिद्धांत राजनीति से लगभग गायब हो गए हैं तो गांधीवादी मूल्य एक प्रभावी विकल्प के रूप में दिखाई देते हैं। वर्तमान में हमें लगता है कि गांधी जी के विचार शाश्वत है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि उन्होंने जमीनी तौर पर अपने विचारों का परीक्षण किया और जीवन में सफलता अर्जित की जो न सिर्फ स्वयं के लिये, अपितु पूरे विश्व के लिये थी, इसलिए आज भी दुनिया गांधी के मार्ग को सबसे स्थायी विकल्प के रूप में देखती है।
वरिष्ठ गांधीवादी नेता राजेंद्र रेजा ने कहा कि महात्मा गांधी ने शांति और सद्भाव की दुनिया विकसित करने की ओर प्रेरित किया। महात्मा गांधी की विचारधारा को गांधीवाद के नाम से जाना जाता है। महात्मा गाँधी उस उस व्यक्ति का नाम हैं जो असत्य को सत्य से, हिंसा को अहिंसा से, घृणा को प्रेम से तथा अविश्वास को विश्वास से जीतने में विश्वास करते थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए गांधीवादी नेता श्रीराम बिलगैया ने कहा कि भले ही आज गांधीजी नहीं हैं लेकिन उनके विचारों, आदर्शों तथा सिद्धांतों के रूप में वे जिन्दा हैं। गाँधी के विचार क्रियात्मक योगदान में जितने उस समय प्रासंगिक थे, आज के समय में भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं। उक्त अवसर पर प्रभा पाल, मनीषा पांडेय, वीर सिंह यादव, निखिल पाठक, अमित चक्रवर्ती, मनीष रायकवार, अभिषेक कनौजिया, अभिषेक दिक्षित, सिद्धार्थ गौतम, हैदर अली, रंजीत रायकवार आदि उपस्थित रहे।