रंगोली व पेंटिंग के माध्यम से मानवता को बचाने का दिया गया सन्देश

रंगोली व पेंटिंग के माध्यम से मानवता को बचाने का दिया गया सन्देश

झांसी। सृजन: दी ड्राइंग एंड पेंटिंग क्लब, बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय झाँसी के विद्यार्थियों ने आज दिल्ली में हुई निर्मम हत्या पर अपना रोष रंगोली और पेंटिंग के माध्यम से व्यक्त किया। विद्यार्थियों ने रंगोली में उन लोगों को भी इसके लिए जिम्मेदार माना जो वहां पर उपस्थित रहे और मूकदर्शक बनकर सब कुछ केवल देखते रहे।

बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के कुलसचिव विनय सिंह ने कहा कि मानवता को शर्मसार करने वाली यह घटना बहुत ही निंदनीय है। लोगों को एक दूसरे के सहयोग से ही आए बढ़ा जा सकता है. समाज में आ रही यह विषमता बहुत घातक है। विद्यार्थियों द्वारा किया गया यह प्रयास समाज को आपस में जोड़ने और सोचने के लिए प्रेरित करेगा। श्री सिंह ने कहा कि ग्रामीण स्तरों तक इस जागरूकता का फैलाया जाना चाहिए और लोगों को इसके बारे में सोचने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
सृजन क्लब की संयोजक डॉ. श्वेता पाण्डेय ने बताया कि मानवता और हमारी जिम्मेदारी को शर्मसार करने वाली यह घटना हमें बहुत कुछ सोचने के लिए विवस कर रही है।

विद्यार्थियों ने आज रंगोली के माध्यम से यह बताने का प्रयास किया कि एक अच्छा समाज केवल कानून के सहारे ही नहीं बनाया जा सकता है, इसके लिए जरुरी है कि हर व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करे और सुरक्षा प्रदान करे। यह घटना केवल दिल्ली के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश को शर्मसार कर रही है कि इतने लोगों के रहते हुए कितनी बेरहमी से एक 16 वर्ष की लड़की की हत्या कर दी गयी।
क्लब के सह संयोजक डॉ. उमेश कुमार ने बताया कि ललित कला संस्थान के विद्यार्थियों इस घटना के सभी पक्षों का विश्लेषण करते हुए ह्रदय को झकझोर देने वाले चित्र बनाये।

उन्होंने बताया कि चित्रों को देख कर लगता है कि यदि लोगों ने उस लड़की को बचाने का प्रयास किया होता तो शायद स्थिति कुछ और होती। एक अनजाने भय के कारण या कहूँ कि उदासीनता के कारण लोगों ने इस जघन्य अपराध को होते हुए देखते हैं। ऐसा लगता है कि बड़े शहरों में मानवता जैसी कोई चीज होती ही नहीं है। लोग पशु प्रवृति के हो जाते हैं और केवल अपना अपना ही दिखाई देता है.जब किसी व्यक्ति के साथ ऐसी घटना घटित होती है तो केवल कानून को जिम्मेदार मानकर बाकी सभी अपना पलड़ा झाड़ लेते हैं।

पेंटिंग बना रहे छात्र रौनक ने बताया कि रंगों के माध्यम से जीवन को रंगीन बनाने के चित्र बहुत से बनाए हैं लेकिन समाज में जब यह दिखाई देता है कि लोग अपनी जिम्मदारियों का निर्वहन करने से भाग रहे हैं तो उन्हें चित्रों के माध्यम से एक बार फिर से जिम्मदारियों को अहसास दिलाने का प्रयास किया जा रहा है। अलादीन ने कहा कि चित्र बनाते समय हमेशा दिल में एक उत्साह और उमंग का संचरण होता रहा है लेकिन आज इस निर्मम हत्या और लोगों की उदासी को देखकर हाथ चल ही नहीं रहे हैं। उदासी छाई हुई है और मन व्यथित हो रहा है कि कोई इतनी बड़ी घटना पर कुछ बोला नहीं। भारती ने कहा कि अब समय आ गया है कि चित्र मनोरंजन से निकलकर हथियार का रूप धारण करें।

लोगों को समाज के प्रति जागरूक करने और सामाजिक जिम्मदारियों को निभाने के लिए प्रेरित करना जरुरी है। आज किसी और की बहन-बेटी के साथ ऐसा हुआ है और समाज मूकदर्शक बना रहा कल किसी और के साथ या अपनों के साथ होगा तब भी समाज क्या मूकदर्शक ही बना रहेगा। इस जड़ता को तोड़ने के लिए यह जरुरी है कि लोगों को जागरूक किया जाय। आकांक्षा चौरसिया ने बताया कि आज ही यह घटना किसी लड़की के साथ हुई है लेकिन ऐसी घटना किसी के साथ भी हो सकती है, इसलिए हमें साथ होना और अन्याय को रोकने का प्रयास हमेशा करना चाहिए।

ललित कला संस्थान के शिक्षक गजेन्द्र सिंह ने रंगोली के माध्यम से लोगों यह सन्देश देने का प्रयास किया कि यदि लोग समय से उस लड़की को बचाने के लिए आ जाते तो आज वह लड़की जीवित होती और उन्होंने इस प्रकार के दो चित्रों का निर्माण किया। पहले चित्र में जैसा घटित हुआ है, उसको दिखाया गया है और दूसरे चित्र में यह दिखाने के प्रयास किया गया है कि लोगों के द्वारा अपनी जिम्मदारियों को निभाने पर कैसी स्थिति होती। नंदनी ने रंगोली में माध्यम से समाज को जागरूक करने का प्रयास किया। इस जागरूकता पेटिंग कार्यक्रम में हर्षिता, राघवेन्द्र, वैष्णवी ने भी चित्र बनाये।

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