आस्था व श्रद्धा का प्रतीक मां शीतला धाम
आस्था व श्रद्धा का प्रतीक मां शीतला धाम
माँ शीतला की महिमा अद्भुत, अकल्पनीय, अविश्वसनीय
निलेश त्रिपाठी
मिर्ज़ामुराद, वाराणसी। स्थानीय क्षेत्र के प्रतापपुर गांव स्थित शीतला जी पर चैत पूर्णिमा के अवसर पर वर्षों से चली आ रहे परंपरागत ढ़ंग से मेले का आयोजन हुआ। इस बार यह मेला दो दिनों का बताया जा रहा है। प्रथम दिन बुधवार को देवी दर्शन हेतु भक्तों की आस्था व श्रद्धा टूट पड़ी।
सुबह से ही दूर-दराज से आए भक्तों का रेला धाम परिसर में लगा रहा। भक्तगण हाथो में धूप, दीप, नारियल चुनरी, माला आदि पूजा की सामग्री ले मां शीतला जी के दरबार में मत्था टेकने पहुंचे। लोगों ने अपने परिवार/ सगे-संबंधियों के मंगल,सुख समृद्धि के लिए मन्नतें मांगी और चढ़ावा भी चढ़ाया। दरबार परिषर व आसपास के क्षेत्रो में भक्तों की भीड़ उमड़ी रही। लोगो द्वारा बजाये जा रहे घंटे, शंख व जयकारा की ध्वनि से पूरा धाम परिसर गुंजायमान रहा। धाम परिसर के बाहर लगे मेले में विभिन्न प्रकार की दुकानें सजी हुई थी।
जहां लोगों ने खूब खरीदारी किया। भक्त सत्यम बताते हैं यह उमड़ाता जनसैलाब इस बात की गवाही देता है कि जगत माता शीतला देवी की शक्ति अद्भुत, अलौकिक है। मां शीतला में आस्था रखने वाले लोग आज के खास दिन पर विशेष दर्शन का लाभ ले अपने तथा अपने परिवार के कल्याण हेतु आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। जिस प्रकार कांटे के ढेर को अग्नि कुछ क्षणों में भस्म कर राख कर देता है वैसे ही मातेश्वरी सभी भक्तों के संकट को क्षण भर में दूर कर देती हैं साथ ही सबकी मनोकामना को शीघ्र ही पूरा कर देती है। देवी भक्त चंद्रशेखर बताते हैं कि दसको से यह मेला निरंतर चलता आ रहा है।
मां में आस्था रखने वाले लोग दरबार में पहुंचकर माता के चरणों में शीश नवाते हैं, फल स्वरूप प्रसन्न होकर माता श्री उनके रोगों, पापों दरिद्रता, कुबुद्धि को हर लेती हैं, तथा उनको सद्बुद्धि, धन दौलत व ऐश्वर्य प्रदान करती। मां की महिमा अकल्पनीय है।
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