जीवन में मायाचार छोड़कर सरलता को अपनायें
जीवन में मायाचार छोड़कर सरलता को अपनायें
गोविन्द वर्मा
बाराबंकी। जैन दर्शन के अनुसार मनुष्य को अपने जीवन में धर्म अनुकूल आचरण अपनाने के लिए क्षमा और विनम्रता के साथ ही सरलता को भी अपनाना होगा। उसे सभी प्रकार के दिखावट व माया चारी जीवन से बाहर निकलना होगा तभी मनुष्य अपनी बाहरी आत्मा से अंतरात्मा की ओर विमुख हो पाएगा। क्षुल्लक श्री विगुणसागर द्वारा प्रवचन के माध्यम से पाश्वर्नाथ दिगंबर जैन मन्दिर में दशलक्षण पर्व के तीसरे दिन यह बताया गया।
उन्होंने कहा जीवन में हमें कभी भी धोखा या दिखावा नहीं करना चाहिए। जैन दर्शन में एक कथा कही गई है जिसमें गुरनिधी नामक मुनिराज ने जब धर्म का पालन नहीं किया और अपने जीवन में मायाचार को अपनाया तो उन्हें गत जीवन में तिर्यांच गति मिली। हमें हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि हम कभी भी मायाचारी या किसी के साथ धोखा न करें। हमेशा सरल बने रहें। हमें आजर्व धर्म यही सिखाता है। जैसा हमारे मन में है, हमें वैसा ही बोलना चाहिए और काम भी उसी के अनुरूप करना चाहिए। प्रातः की बेला में पारसनाथ भगवान का पंचामृत अभिषेक शांति धारा करने वाले की होड़ लगी रही जिसमें मुख्य रूप से पवन जैन, राहुल जैन, सचिन जैन, विशाल जैन, गौरव जैन, नितेश जैन, मनीष जैन आदि उपस्थित रहे।