JAUNPUR NEWS : कविताओं के माध्यम से एकलव्य को अर्पित की गयी श्रद्घांजलि

JAUNPUR NEWS : कविताओं के माध्यम से एकलव्य को अर्पित की गयी श्रद्घांजलि

अखिल भारतीय कवि सम्मेलन व मुशायरा का हुआ आयोजन
जौनपुर। अखिल भारतीय कवि सम्मेलन व मुशायरा का आयोजन एकलव्य फाउण्डेशन हाल शांति नगर रूहट्टा में हुआ जहां देश व प्रदेश से आए कवियों ने कृष्णकान्त एकलव्य के 83वें जन्मदिवस पर उन्हें याद करते हुए अपनी कविताओं के माध्यम से श्रद्घांजलि अर्पित किया।

प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी महाकवि कृष्णकान्त एकलव्य के सम्मान में कवि सम्मेलन हुआ जहां कार्यक्रम की शुरूआत एकलव्य जी की प्रतिमा पर दीप प्रज्वलित व माल्यार्पण करके किया गया। मुख्य अतिथि समाजसेवी/उद्योगपति अशोक सिंह, अध्यक्षता डा. पीसी विश्वकर्मा, विशिष्ट अतिथि दिनेश टण्डन, प्रो. आरएन सिंह, कार्यक्रम अध्यक्ष राकेश श्रीवास्तव आदि ने श्रद्घांजलि दी।

अतिथियों ने एकलव्य जी के व्यक्तित्व एवं लेखनी और व्यंग्य कविताओं की जमकर सराहना की। उनके द्वारा कुछ व्यंग्य कविताओं को भी सुनाया। कार्यक्रम की शुरूआत जनार्दन प्रसाद अस्थाना ने सरस्वती वंदना से की। इस दौरान मंचासीन कवियों ने उन्हें अपनी रचनाओं के माध्यम से श्रद्घांजलि दी।

एकलव्य जी द्वारा रचित कविता वाह रे विज्ञापनों की आंधी, शराब के कैलेण्डरों पर महात्मा गांधी, जब मैने सुना एक गांव बढ़कर शहर हो गया, लगा गाय का ताजा दूध जहर हो गया, भाषा विहीन एक गूंगा राष्टï्र तथा हिंदी राष्टï्र की बिंदी जैसी बहुचर्चित कविताओं से साहित्यिक जीवन पर प्रकाश डाला गया।

कवि राजेश पाण्डेय ने-काहे जिया घबराए न जाए अंगना, कैसा कंगना गढ़ाए न भाए सजना-योगेन्द्र मौर्य ने कब आया कब चला गया मधुमास शहर से, सब कुछ खोकर मांग रहे हम क्या ईश्वर से। विपिन दिलकश-एक ही शेर में दिलकश रखूं मै दिल को मगर, दरिया कूजे में किसी तरह समाए न बने। फूलचंद भारती-जीवन ज्योति जलाते रहिए, जो आया है सो जाता है बताते रहिए। शम्भूनाथ-कण में तुम्ही क्षण में तुम्ही, प्रण में तुम्ही हो प्राण में, रस में तुम्ही, रसना तुम्ही हो, विश्व के परिणाम में। मोनिस जौनपुरी-है बहुत ज्ञान सबके बारे में, थोड़ा खुद को भी ज्ञान में रखिए।

जनार्दन प्रसाद अस्थाना- सबके उपर छाया करता, सदा बचाता धूप, पिता छतनार वृक्ष का रूप। कारी जिया जौनपुरी-जिसे देखा हिकारत की नजर से, वही कतरा समंदर हो गया है। अंसार जौनपुरी-मिट्टïी का आदमी था, मिटा इसको क्या गया, मिट्टïी में मिल गया कि हवा ने उड़ा दिया। दमयंती सिंह-मै उस देश की वासी हूं, जिस देश में नारी की पूजा होती है। प्रो. आरएन सिंह-जिंदगी को प्यार का प्याला पिलाकर देखिए, खिल उठेगी जिंदगी बस खिलखिलाकर देखिए।

डा. पीसी विश्वकर्मा- दी दुआ दिल से, जबां से, दिया-दिया न दिया, ये अलग बात है, असर वो किया-किया न किया। गिरीश कुमार गिरीश-मनुज की मनुजता में खामी न होती, अगर ये हवस की गुलामी न होती, न तटबन्ध ढहते प्रकृति के कहर से, समुन्दर की लहरें सुनामी न होती। शशांक सिंह, रूपेस साथी, डा. अजय विक्रम सिंह आदि ने भी अपनी कविताओं से वाहवाही लूटी।

इस अवसर पर आनंद मोहन श्रीवास्तव, डा. सुबाष सिंह प्रधानाचार्य, विनोद सिंह, निखिलेश सिंह, जय आनंद, श्याम रतन श्रीवास्तव, दयाशंकर निगम, संजय अस्थाना, एससी लाल, इंद्रजीत मौर्य, प्रमोद श्रीवास्तव, केके दूबे फौजी, राजकुमार वेनमंशी, अजय श्रीवास्तव, रवि श्रीवास्तव, राम सेवक यादव, सुनील अस्थाना, आनंद शंकर श्रीवास्तव, रमेश सोनी, अरूण श्रीवास्तव, विनय श्रीवास्तव, विनोद पाण्डेय एडवोकेट, शशि श्रीवास्तव गुड्डू, प्रशांत पंकज, कृष्ण कुमार, सलवंता यादव, लालजी भारती, क्षितिज श्रीवास्तव, अम्बर श्रीवास्तव, पुनीत श्रीवास्तव आदि उपस्थित रहे।

कार्यक्रम आयोजक एकलव्य जी के कनिष्ट पुत्र सरोज श्रीवास्तव ने अतिथियों का स्वागत किया। बाबा धर्मपुत्र अशोक ने अतिथियों का आभार प्रकट किया। कवि सम्मेलन का संचालन गिरीश कुमार गिरीश ने किया।

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