JAUNPUR NEWS : मेडिकल कॉलेज के निर्माण में रोड़े अटका रही है पुरानी एजेंसी
धीमी गति से हो रहे कार्य के चलते शासन ने दिखाया था बाहर का रास्ता
परिसर में जमे हैं टाटा व बालाजी निर्माण एजेंसी के जिम्मेदार व संसाधन
बिरेन्द्र यादव
सरायख्वाजा, जौनपुर। उमानाथ सिंह राज्य चिकित्सा महाविद्यालय सिद्दीकपुर में धीमी गति के कार्य के चलते पुरानी एजेंसी टाटा लिमिटेड एवं बाला जी को शासन व राजकीय निर्माण निगम ने बाहर का रास्ता दिखा दिया था। उनकी छुट्टी कर दी उसके बाद भी मेडिकल कॉलेज परिसर में जमे हैं और निर्माण कार्य में रोड़ा भी अटकाने का काम करते हैं। परिसर छोड़ने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। नई एजेंसी निर्माण कार्य में तेजी नहीं ला पा रही है। अक्टूबर 2014 में मेडिकल कॉलेज का निर्माण कार्य शुरू हुआ और समय-समय पर निर्माण कर पूरा होने का लक्ष्य दिया गया, लेकिन लक्ष्य पर काम पूरा नहीं हुआ। बता दें कि कार्यदायी संस्था राजकीय निर्माण निगम ने पैट्री कानटेक्टर संस्था टाटा लिमिटेड व बालाजी लिमिटेड को दिया था। यह दोनों एजेंसी वर्ष 2023 तक 65 फ़ीसदी भी कार्य पूरा नहीं कर सकी। जिसके चलते उनकी बार-बार शिकायत हो रही थी उधर घटिया कंक्रीट सामग्री का इस्तेमाल भी कर रहे थे। निर्माण में गड़बड़ी व भ्रष्टाचार का मामला पकड़ में आने पर शासन के लोग खफा हो गए और उनकी तमाम कमियां पाये जाने पर शासन स्तर से नाराजगी जाहिर करते हुए राजकीय निर्माण निगम कार्य संस्था को निर्देश दिया गया कि टाटा व बाला जी संस्था को छुट्टी देकर मेडिकल कॉलेज से बाहर दिया कर दिया। इन्हें मेडिकल कॉलेज निर्माण कार्यों से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया और और नई कार्यवाही संस्था शिवांश इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट प्राइवेट लिमिटेड लखनऊ को निर्माण कार्यों की जिम्मेदारी दी गई। लेकिन अभी उसमें पुरानी निर्माण एजेंसी ने अपना सिस्टम लगा होने के कारण उनके काम में रोड़ा अटका रही है जिससे वह भी पूरी तरीके से काम शुरू नहीं कर पाए। विगत सप्ताह एसडीएम शिकायत पर मेडिकल कॉलेज में पहुंचे और टाटा व बालाजी निर्माण एजेंसी के जिम्मेदारों व ठेकेदारों को जमकर फटकार लगाई और तत्काल उन्हें यहां से जाने को कहा, लेकिन अब भी वह मेडिकल कॉलेज में जमे हैं और अपने सिस्टम संसाधनों को वहां से हटा नहीं रहे जिससे निर्माण कार्य करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। बता दें कि कॉलेज की शुरुआती लागत 554 करोड़ बजट की थी लेकिन जिसका रेट रिवाइज करते हुए इसको 569 करोड़ का बजट कर दिया गया है और नई संस्था को निर्देश दिया गया कि तत्काल कार्य पूरे होने चाहिये जिससे एमबीबीएस छात्रों को पढ़ाई में मुश्किलों का सामना न करना पड़े।
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