JAUNPUR NEWS : बीएचयू के प्रोफेसर के निधन पर शिक्षकों ने जताया शोक

JAUNPUR NEWS : बीएचयू के प्रोफेसर के निधन पर शिक्षकों ने जताया शोक

जौनपुर। देश के प्रसिद्ध इतिहासकार एवं बीएचयू के प्राचीन इतिहास विभाग में प्रोफेसर तथा उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के पूर्व सदस्य डॉ. अनिल दुबे के असामयिक निधन से लोग हतप्रभ हैं। प्रो. दुबे का बीते 26 फरवरी को हृदयगति रुक जाने से असामयिक निधन हो गया। वह जनपद के विकास खंड सुजानगंज के भटौली गांव के निवासी थे। प्रोtasse latte Switzerland electrolux us2 tasse latte Switzerland brandon aiyuk jersey youth puma gaming chair hervis otroška smučarska jakna kjølner smykker randers varusteleka sarkahousut Finland ruote alluminio alto profilo amazon fronius symo hybrid batterie ruote alluminio alto profilo amazon custom soccer shirts kelly bag taupe België jayden daniels lsu jersey sat digitale terrestre amazon . दुबे को मुंगराबादशाहपुर के निकट मादरडीह टीले की खुदाई से अंतर्राष्ट्रीय ख्याति मिली। मादरडीह की खुदाई से कनिष्क कालीन अवशेष प्राप्त हुए थे। उनके निधन पर जगह-जगह शोकसभा हुई। नगर में डा महेंद्र त्रिपाठी के यहां शोक प्रकट करते हुए टीडी कॉलेज के अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो. आर.एन. ओझा ने कहा कि श्री दुबे वट वृक्ष थे। उनके सानिध्य में जो भी रहा, सबको शीतल छाया देते रहे।
हिंदी विभाग के प्रो. राजदेव दुबे ने कहा कि मेरा प्रो. दुबे से इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्र जीवन से ही संबंध रहा। वह बहुत ही कुशाग्र बुद्धि के और जूनियर छात्रों का मार्गदर्शन और सम्मान करने वाले थे। हिंदी विभाग के डॉ. ओम प्रकाश सिंह ने कहा कि उनके संपर्क में जो भी आया, वह उनका हो गया। उनसे जो एक बार मिल लेता था, सदैव उनकी तारीफ करता था। सीएमपी कालेज प्रयागराज के डॉ. अंकित श्रीवास्तव ने कहा कि इतिहास के क्षेत्र में प्रो. दुबे जैसा व्यक्तित्व मिलना बहुत ही कठिन है।
मड़ियाहूं में आयोजित शोकसभा में स्व. दुबे को श्रद्धांजलि व्यक्त करते हुए प्राचार्य प्रो. सुरेश पाठक ने कहा कि डॉ. अनिल दुबे से मेरा संपर्क विद्यार्थी जीवन से रहा। विद्यार्थी जीवन में ही उनकी ऐसी छाप थी जो मेरे हृदय में अंकित हो गई। डॉ. शिवाकांत तिवारी ने कहा कि स्व. दुबे अजातशत्रु थे। वह लोगों के गुणों को आत्मसात करते थे। डॉ रामसिंह ने कहा कि श्री दुबे व्यक्ति नहीं संस्था थे। सुधीर त्रिपाठी ने कहा कि मैं बहुत से लोगों को दिखा लेकिन कोई व्यक्ति ऐसा नहीं मिला जो उनके व्यक्तित्व की क्षमता कर सके।

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