JAUNPUR NEWS : शिव जी के धनुष तोड़कर श्रीराम ने सीता से विवाह रचाया: वशिष्ठ महराज

JAUNPUR NEWS : शिव जी के धनुष तोड़कर श्रीराम ने सीता से विवाह रचाया: वशिष्ठ महराज

सीता स्वयंवर का संवाद सुनकर भाव—विभोर हुये श्रोतागण
पंकज बिन्द
महराजगंज, जौनपुर। स्थानीय क्षेत्र के सवंसा स्थित हनुमान मंदिर पर चल रहे श्रीराम मानस कथा के चौथे दिन कथा वाचक श्री वशिष्ठ जी महराज द्वारा कथा कहा जा रहा था जहां रामायण में सीता स्वयंवर में भगवान राम ने धनुष तोड़कर माता सीता से विवाह रचाया। इसी बीच लक्ष्मन-परशुराम संवाद का हुआ जिसे सुनने के लिए लोग डटे रहे। वहीं राजा जनक ने गुरु विश्वामित्र को सीता स्वयंवर में आमंत्रित किया जिस पर गुरु विश्वामित्र अपने साथ भगवान राम और लक्ष्मण को लेकर मिथिला नगरी पहुंचे। सीता के स्वयंवर में बड़े-बड़े महारथी भी शामिल हुए।

इसी दौरान रावण भी अपना रूप बदलकर सीता स्वयंवर में शामिल हुआ। जैसे ही राजा जनक ने आग्रह किया कि सामने रखा बड़ा धनुष यह भगवान शिव का धनुष है। जो भी राजा इसकी प्रत्यंचा चढ़ाएगा, वह मेरी बेटी सीता से विवाह कर सकेगा सभी राजा धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाने के लिए उत्सुक थे। बारी-बारी से सभी धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाने के लिए पहुंचे लेकिन कोई भी शिवजी का धनुष नहीं उठा पाया। जिससे राजा जनक का मन दुखी हो गया। राजा जनक बोले कि क्या इस पृथ्वी पर ऐसा कोई राजा नहीं कि इस धनुष को उठा सके जिससे लक्ष्मण गुस्से में आकर उठकर बोलते हैं कि शायद आपको पता नहीं कि यहां भगवान श्रीराम विराजमान हैं। उनकी शक्ति को कोई जान नहीं सका जिस पर राम अपने छोटे भाई लक्ष्मण को बैठा लेते हैं। इसके बाद गुरु विश्वामित्र के कहने पर भगवान राम धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाने पहुंचते हैं।

जैसे ही वे धनुष को उठा लेते हैं तो भरी सभा में बैठे कई राजा यह देखकर अचंभित हो जाते हैं और उधर राजा जनक के चेहरे पर खुशी झलकने लगती है। इसी बीच भगवान राम धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाने लगते हैं तो धनुष टूट जाता है। धनुष टूटा तो परशुराम ने क्रोध प्रकट किया धनुष टूटने के बाद सीताजी भगवान श्रीराम के गले में वरमाला डाल देती हैं। वरमाला डालते ही आकाश से देवी-देवता पुष्पों की बारिश करते हैं। उधर जब परशुराम को भगवान शिव के धनुष के टूटने की खबर लगती है तो वे गुस्से से आग-बबुला हो जाते हैं। राजा जनक के दरबार में पहुंचकर क्रोध प्रकट करते हैं। परशुराम और लक्ष्मण के बीच तीखा संवाद होता है। जब परशुराम को पता चलता है कि श्रीराम भगवान विष्णु के अवतार हैं तो वे राम को प्रणाम करते हैं। तब जाकर परशुराम का क्रोध शांत होता है। वहीं जनप्रतिनिधियों ने मंच पर आरती उतारी।
इस दौरान समिति में पुजारी श्यामशंकर उपाध्याय, भाजपा मंडल अध्यक्ष यादवेंद्र प्रताप सिंह, केवटली ग्राम प्रधान प्रतिनिधि ओम प्रकाश सेठ, उदयपाल सिंह, शीतला मौर्या, राहुल मिश्रा, राजीव सिंह, राम आसरे पाण्डेय, ओमकार सिंह, ज्वाला प्रसाद, ओमकार सिंह, भोला प्रसाद सेठ, शिवपूजन सेठ, सूरज सिंह सहित आदि सैकड़ों भक्तगण उपस्थित रहे।

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