ग्लोबल प्राइवेट अस्पताल है या लूट का अड्डा?
ग्लोबल प्राइवेट अस्पताल है या लूट का अड्डा?
विशाल रस्तोगी
सीतापुर। शहर के नेपालापुर के निकट स्थित ग्लोबल प्राइवेट अस्पताल मरीजों के उपचार के केंद्र से ज्यादा लूट का अड्डा बन गया है। अस्पताल में मरीजों के उपचार से ज्यादा मरीजों की जेब पर ज्यादा नजर रखी जाती है। यहां पर मरीजों को मरीज नहीं, बल्कि अपनी आमदनी का जरिया समझा जाता है। आमदनी ही नहीं, बल्कि जब तक मरीज के पास अस्पताल में जमा करने के लिए नगद नारायण उपस्थित रहते हैं तब तक मरीज का उपचार जारी रहता है और जब मरीज के पास देने के लिए कुछ नहीं बचता तब उसे रेफर कर दिया जाता है।
चाहे मरीज अंतिम सांसे गिन में लगे या फिर तड़प तड़प कर अपना दम तोड़ दे लेकिन अस्पताल को सिर्फ नगद नारायण से ही मतलब रहता है। ग्लोबल प्राइवेट अस्पताल में मरीजों से नगद नारायण वसूलने का कार्य एक प्रक्रिया के अनुसार होता है जिसमें दवाओं पर लंबा कमीशन लिया जाता है। मरीजों को भर्ती कराने के लिए दलाल उपलब्ध होते हैं। दलालों के माध्यम से मरीजों को भर्ती करवाया जाता है। अस्पताल की हर छोटी से बड़ी गतिविधि में दलाल ही अपना रोल अदा करते हैं।
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