तेजस टूडे ब्यूरो गोविन्द वर्मा बाराबंकी। आस्था हॉस्पिटल में हो रही अवैध वसूली को लेकर जिलाधिकारी का तेवर सख्त हो गया है। हॉस्पिटल में कोविड मरीजों की भर्ती पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने के साथ ही अस्पताल की जाँच के लिए चार सदस्यीय समिति का गठन किया गया है। कोरोना संक्रमण से प्रभावित मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए शेरवुड हॉस्पिटल के साथ ही आस्था हॉस्पिटल को भी कोविड सेंटर बनाया गया था। अपनी विवादित कार्यशैली के चलते कई बार सुर्खियों में रह चुके आस्था के प्रबंधक डा. वीरेंद्र पटेल एक बार फिर चर्चा का विषय बने हुए हैं। कोविड सेंटर बनने के बाद जांच के दौरान जिलाधिकारी डा. आदर्श सिंह द्वारा इनको आक्सीजन सिलेंडर की लिखापढ़ी न करने के लिए चेतावनी दी जा चुकी है। डीएम की चेतावनी के बाद भी हॉस्पिटल के प्रबंधक ने अपनी कार्यशैली में कोई सुधार लाना मुनासिब नहीं समझा। लगातार मिल रही अवैध वसूली व कोविड मरीजों के उत्पीड़न की शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी कार्यालय द्वारा अस्पताल में कोरोना मरीजों की भर्ती पर रोक लगा दी गई है। डीएम द्वारा जारी पत्र के अनुसार अस्पताल में आक्सीजन सिलेंडर व रेग्युलेटर मरीजों से मंगवाने के साथ ही निर्धारित शुल्क से अधिक अवैध वसूली की जा रही है। इतना ही नहीं अस्पताल प्रबंधन द्वारा निर्धारित प्रोटोकॉल के अनुसार कोविड मरीजों का उपचार भी नहीं किया जा रहा है। अस्पताल की कार्यप्रणाली की जांच के लिए उप जिलाधिकारी नबाबगंज अभय कुमार पांडे, अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. केएनएम त्रिपाठी, सीओ नगर सीमा यादव व प्रोबेशन उप जिलाधिकारी सचिन वर्मा की सदस्यीय समिति का गठन किया गया है।