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महराजगंज, जौनपुर। नौ दिन चले ढाई कोस की कहावत ग्राम पंचायत की जांच पर बिल्कुल सटीक बैठती है। जुलाई 2017 में केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय द्वारा जांच का आदेश देने के बावजूद जांच की प्रक्रिया अभी तक लंबित है। आरोप है कि महराजगंज विकासखंड के बैरमा मुहकुचा गांव में 2010 से 2015 के बीच हुए विकास कार्यों की जांच के लिए गांव के अरविंद कुमार ने केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय के प्रमुख सचिव को शिकायत दर्ज कराई।
जुलाई 2017 में केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय ने पंचायत राज विभाग को मामले की जांच के लिए आदेशित किया। शिकायतकर्ता ने आईजीआरएस द्वारा जांच में विलंब होने पर सूचना मांगने के बाद जिला पंचायत राज अधिकारी ने 2018 जनवरी में उक्त जांच पर आपत्ति दर्ज करते हुए कहा कि बिना नोटरी के जांच नहीं कराई जा सकती। ऐसे में जनवरी 2018 को शिकायतकर्ता ने जिलाधिकारी के समक्ष नोटरी हलफनामा जांच हेतु प्रस्तुत किया। इस प्रकरण में मार्च 2018 में जिला कृषि अधिकारी को जांच हेतु नामित किया गया।
अप्रैल में गांव में जांच करने पहुंचे जिला कृषि अधिकारी ने अपलोड बिल वाउचर और जांच हेतु प्रस्तुत की गई बिल वाउचर में अंतर पाए जाने पर आपत्ति जताया। इसी दौरान जिला गन्ना अधिकारी को जांच अधिकारी बना दिया गया। शिकायतकर्ता द्वारा जल्द जांच पूरी किए जाने की मांग पर जिलाधिकारी ने जनवरी 2020 में टीम का गठन किया।
जिसमें जिला अर्थसंख्या अधिकारी, जिला गन्ना अधिकारी एवं अधिशासी अभियंता ग्रामीण अभियंत्रण सेवा को सदस्य बनाया गया है। लेकिन टीम गठन होने के 6 माह बीत जाने के बावजूद जांच कार्यवाही पूर्ण नहीं हो सकी। इस संबंध में शिकायतकर्ता का आरोप है कि उक्त जांच 3 वर्ष से लंबित है। इस संबंध में खंड विकास अधिकारी महराजगंज का कहना है कि सारी पत्रावली जांच टीम को उपलब्ध करा दी गई है। जांच टीम अपनी रिपोर्ट जिलाधिकारी को प्रस्तुत करेंगी।
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