लहसुन स्वाद में अच्छा है तो आज के दौर में मुनाफा भी इसमें कम नहीं
लहसुन स्वाद में अच्छा है तो आज के दौर में मुनाफा भी इसमें कम नहीं
देवी प्रसाद वर्मा
आजमगढ़। भारतीय खाद्य पदार्थ में स्वाद बढ़ाने के लिए लहसुन अति महत्वपूर्ण हो जाता है। अगर हम इसको खाने के उपयोग में प्रयोग करते हैं तो स्वास्थ्य सेवाओं से लेकर अन्य औषधि में भी इसका उपयोग करने से पीछे नहीं रहते हैं। यही कारण है कि आज के दौर में आयुर्वेद में लहसुन का महत्वपूर्ण स्थान है। यह एक औषधीय एवं मसाले की फसल है, इसकी विशेष गंध होती है तथा स्वाद में तीक्ष्ण होता है। रासायनिक तौर पर लहसुन में गंधक का आधिक्य होता है तथा पीसने पर एलीसिन नामक यौगिक प्राप्त होता है जो प्रतिजैविक विशेषताओं से भरा होता है। इसके अलावा इसमें प्रोटीन, एंजाइम, विटामिन बी, सैपोनिन, फ्लेवोनाइड आदि पदार्थ पाए जाते हैं। बाजार में भी लहसुन का अच्छा भाव मिलता है, लोकप्रियता और मांग के आधार पर भी भाव में परिवर्तन होता रहता है। मौसम प्रतिकूल होने पर लहसुन के फसल पर प्रभाव पड़ता है। बीते कुछ दिनों में ठण्ड अत्यधिक पड़ने के कारण लहसुन की पत्तियां पीली पड रही हैं जिससे किसान परेशानी का सामना कर रहे हैं।
आचार्य नरेंद्रदेव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या के अधीनस्थ संचालित कृषि विज्ञान केंद्र कोटवा में फसल सुरक्षा के क्षेत्र में पैनी नजर रखने वाले डा. रुद्र प्रताप सिंह एसोसिएट प्रोफेसर बताते हैं कि लहसुन में पत्तियां पीली होने के कई कारण हैं। जैसे नाइट्रोजन की कमी, रस चूसक कीट का प्रकोप, फफूंद का संक्रमण, आवश्यकता से अधिक सिंचाई या मौसम में परिवर्तन आदि फसल में ज्यादा पानी हो गया है तो निकालने का प्रयास करें। नाइट्रोजन की कमी होने पर एनपीके 19:19:19 का छिड़काव। कि०ग्रा० प्रति एकड़ के हिसाब से करें। यदि फफूंद जनित बीमारी दिख रही हो तो मैन्कोजेब 75% डब्लू पी 2.0 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें। थ्रिप्स का प्रकोप होने पर इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल 1 मि०ली० प्रति 3 लीटर पानी की दर से अथवा थायमेथोक्साम 25 डब्लू०पी०। ग्राम प्रति 3 लीटर पानी की दर से छिड़काव करें।
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