नारी श्रृंगार से अंगार तक

नारी श्रृंगार से अंगार तक…

एक नारी माता के रूप में जन्म देती है और पत्नी के रूप में जीवन को सुचारू रूप से चलाने की प्रेरणा बनती है। वेद और पुराणों में भी नारी को मां भवानी अर्थात मां दुर्गा का प्रतिबिंब माना गया है। जिस घर में नारी का कभी सम्मान नहीं होता, उस घर में कभी भी लक्ष्मी का वास नहीं होता। 100 में से 25 प्रतिशत लोग ही जागरूक हुए हैं नारी के प्रति। कुछ लोग अभी भी नारी को बहुत ही निकृष्ट भाव से देखते हैं।

उसको रसोई और बिस्तर तक ही सीमित रखना चाहते हैं और कुछ रख भी रहे हैं। इस सृष्टि के सृजन के लिए नारी को चुना गया था। शायद यह बात लोग भूल जाते हैं कि कुछ तुच्छ बुद्धि वाले पुरुष नारी को प्रताड़ित कर उसकी अवहेलना करते हैं। उसे चहारदीवारी में बांधकर‌ रखना चाहते हैं। नारी केवल भोग और वासना का साधन नहीं है। वह सृष्टि का कारक है। अगर हमारे इतिहास के पन्ने को खोलकर देखा जाए तो नारी की महत्ता को जाना जा सकता है और रही बात वेद और पुराणों की तो लक्ष्मी की‌ कलम में इतनी ताकत नहीं की उसकी उसकी पराकाष्ठा लिख पाये। सदियों से ही नारी को एक वस्तु तथा पुरुष की संपत्ति समझा जाता रहा है।

मानो उसे नारी के साथ यह सब करने का अघोषित अधिकार मिला हुआ है मगर यह भी सच है कि इन सब परिस्थितियों से लड़ते हुए कुछ नारियों ने इतिहास में अपना नाम दर्ज करवाया ना जाने कितने शत्रुओं का नाश कर देवताओं को विजयी बनाने वाली मां काली भी तो एक नारी थी भारत की प्रथम महिला आईपीएस बनने वाली किरण बेदी भी तो एक नारी थी। नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाली पहली महिला मदर टेरेसा भी तो एक नारी थीं।

अंतरिक्ष पर जाने वाली कल्पना चावला भी तो एक नारी थीं। ओलंपिक में रजत पदक जीतने वाली पहली महिला एवं विश्व बैडमिंटन शिप में महिला एकल खिताब जीतने वाली पीवी सिन्धू एक नारी थीं। ग्वालियर में 1857 की क्रांति में सबसे बड़ी नायिका और झांसी की रानी लक्ष्मीबाई भी तो एक नारी थीं। करवा चौथ कर सारा दिन क्या करती हैं और 9 महीने में एक अबोध बालक का संचार करने वाली भी ‌नारी‌ है। कुल और वंश को आगे बढ़ाकर एक नई पीढ़ी का निर्माण करने वाली भी नारी है। नारी के अनेकों रूप है दया करुणा ममता की मूरत है।

मैं दुर्गा हूं
मैं काली हूं
मैं ही पद्मिनी जौहर करने वाले हूं
है गर्व मुझे मैं नारी हूं
मैं ही संतन प्रतिपाली हूं
मैं हूं प्रेम का सागर
मैं ही नफरत को पैदा करने वाली हूं
मैं खुद पीड़ा सहकर
लोगों को खुशियां देने वाली हूं
हैं गर्व मुझे मैं नारी हूं
मैं ही संतन प्रतिपाली हूं
(नारी जन्मदात्री है तो‌ विनाश का कारण भी है)
लक्ष्मी सिंह
पूरा बघेला, जौनपुर, (उत्तर प्रदेश)

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