किसान की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत
किसान की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत
जिले में सुनवाई न होने से पीड़ित किसान गया था मुख्यमंत्री दरबार
जयेश बादल
ललितपुर। अपनी पुस्तैनी जमीन को दबंग ग्राम प्रधान के अवैध कब्जे से छुड़वाने के प्रयास में लखनऊ पहुंचे किसान की मुख्यमंत्री आवास पर ही मौत हो गई थी। जिसके बाद उसका पोस्टमार्टम कराया गया लेकिन उस समय तक उसके परिजनों ने उसका अंतिम संस्कार नहीं किया जब तक पुलिस के आला अधिकारी उसके घर नहीं पहुंचे और परिजनों को ढांढस नहीं बंधाया। वह जनपद के डीएम और एसपी को वहां बुलाने की जिद कर रहे थे, लेकिन मौके पर पहुंचे क्षेत्र अधिकारी के साथ अन्य कर्मचारियों के समझाने बुझाने के बाद मृतक का अंतिम संस्कार किया गया।
बताते चलें कि गांव के ग्राम प्रधान ने ग्रामीण की जमीन पर अवैध रूप से अपनी दबंगई और रसूख के बल पर कब्जा जमा लिया था। जिसकी कई बार शिकायतें की गई लेकिन जब समुचित कार्यवाही नहीं हुई तब वह उक्त मामले को लेकर मुख्यमंत्री दरबार में पहुंचा था और वहीं पर उस की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। प्राप्त जानकारी के अनुसार थाना बानपुर क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम उदयपुरा निवासी अच्छेलाल पाल की जमीन पर गांव के ही दबंग प्रबृत्ति के ग्राम प्रधान रामरतन यादब द्वारा उसकी पुश्तैनी बेशकीमती जमीन पर इसलिए कब्जा कर लिया गया था कि उसके कहे अनुसार उन्होंने और उसके अन्य परिजनों के साथ-साथ समाज ने भी विधान सभा चुनावों में उसकी पार्टी को वोट नहीं दिया था। इस मामले की शिकायत पुलिस और जिला प्रशासन के अधिकारियों से कई बार की गई लेकिन उन्हें जब समुचित न्याय नहीं मिला, तो उनका 32 वर्षीय बेटा राजकुमार अपनी फरियाद लेकर लखनऊ मुख्यमंत्री के दरबार में शनिवार को पहुंचा था।
लेकिन वहां पहुंचने के बाद वहां तैनात अधिकारियों ने उसे अंदर नहीं जाने दिया और ना ही अपनी व्यथा सुनाने दी। जिसके बाद उसने एक बार फिर सोमवार को मुख्यमंत्री दरबार में जाने का प्रयास किया लेकिन वह सफल नहीं हुआ तो वह वहां बनी बाउंड्री को कुंद कर मुख्यमंत्री आवास में जाने का प्रयास कर रहा था, तभी वह अचानक गिर पड़ा और गंभीर रूप से घायल हो गया जिसे आनन-फानन में ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया था पर जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी। जिसके बाद उसके पिता के पहुंचने पर मंगलवार को उसका पोस्टमार्टम कराया गया और परिजनों को उसका सब लेकर गांव उदयपुरा भेज दिया गया। गांव पहुंचने के बाद परिजन उसका अंतिम संस्कार करने के लिए तैयार नहीं हुए उनकी मांग थी कि जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक उनके गांव आए और उनकी व्यथा सुनकर मामले का निस्तारण करने की कृपा करें, लेकिन इस बीच क्षेत्राधिकारी सदर फूलचंद अन्य पुलिस कर्मचारियों के साथ मौके पर पहुंचे और मृतक के पिता और अन्य परिजनों को स्मूचिंग न्याय का भरोषा देंकर समझा-बुझाकर उनके बेटे का अंतिम संस्कार कराया।
इस मामले में मृतक के पिता अच्छेलाल का कहना है कि ग्राम प्रधान द्वारा किए गए अवैध कब्जे की शिकायत कई बार की लेकिन जब उन्हें न्याय नहीं मिला तब उनका बेटा मुख्यमंत्री दरबार में शनिवार को पहुंच गया था, लेकिन जब वह सोमवार को मुख्यमंत्री के यहां अपनी सुनवाई के लिए गया था तभी वहीं पर उसकी मौत हो गई थी जिसकी सूचना उन्हें फोन पर दी गई थी। सूचना के बाद जब वह लखनऊ पहुंचे तब उन्हें कागजी कार्यवाही पूरी कर उनके बेटे का शव सौंप दिया गया लेकिन उन्हें न्याय अब तक नहीं मिल पाया है। मृतक के पिता का यह भी आरोप है कि उसे लगता है कि उसके बेटे की मौत में उसी दबंग ग्राम प्रधान का हाथ है जिसने उसकी जमीन पर अवैध रूप से कब्जा जमाया है।
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