पूर्व प्रधानाचार्य को दी गई भावभीनी श्रद्धांजलि

पूर्व प्रधानाचार्य को दी गई भावभीनी श्रद्धांजलि

देवी प्रसाद शर्मा
आजमगढ़। श्री शंकर जी इंटर कॉलेज कटवा गहजी के पूर्व प्रधानाचार्य हरिनारायण सिंह 91 वर्ष ने तीन नवम्बर शुक्रवार को देर रात प्रयागराज में अंतिम सांस ली। उनका इलाज लंबे समय से चल रहा था। 14 नवम्बर को उन्ही के घर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया था जिसमें भारी संख्या में ग्रामीण अंचल के लोग, शिक्षक, अधिकारी, पुलिस प्रशासन से संबंधित जनपद के उच्च अधिकारी भी इस सभा में एकत्रित हुए थे। इतना ही नहीं व्यवस्था को सुचार रूप से संपन्न करने के लिए स्थानीय पुलिस से लेकर जनपद के जिम्मेदार प्रशासन भी इस श्रद्धांजलि सभा में हर गतिविधि पर नजर रखकर किसी भी तरह से आवागमन में कोई व्यवधान न पड़े। इसके लिए काफी सक्रिय दिख रहे थे। ऐसा हो भी क्यों ना जब उन्हें के सुपुत्र डॉ. अरुण कुमार सिंह इस समय आईपीएस बनकर गोरखपुर में तैनात हों तो कुछ कहने की जरूरत ही नहीं है। उन्हीं के मित्र डॉक्टर एएन चतुर्वेदी बाल रोग विशेषज्ञ गोरखपुर भी लगातार सक्रिय भूमिका निभाने से पीछे नहीं रहे। ऐसे में भारी संख्या में पूर्व प्रधानाचार्य जी को श्रद्धांजलि देने वालों की भारी भीड़ लगी हुई थी। जानकारी के अनुसार वे श्री शंकर जी इंटर कॉलेज कटवा गहजी के निर्माणकर्ता होने के साथ विद्यालय के प्रधानाचार्य के बाद प्रबंधक के पद को भी सुशोभित किये थे। उनकी कार्य कुशलता, सख़्त रुख और दक्षता से प्रभावित होकर माध्यमिक शिक्षा परिषद में भी उनको सम्मान के साथ एक दशक से ज्यादा समय अध्यक्ष पद को सुशोभित करने का अवसर भी मिला। वह नियम कानून के इतने सख्त थे तो गरीब, असहाय के हिमायती भी थे। वहीं अगर गलत किसी से भी कुछ हो जाए तो क्षमा करने के लिए कभी भी तैयार नहीं थे। यही कारण था कि नकल के सख्त विरोधी रहने के कारण अन्य विद्यालयों में भले ही नकल का बोलबाला रहा हो लेकिन विद्यालय की चहर दिवारी तक नकल को प्रवेश नहीं करने दिया। यही कारण था कि उनके सामने बड़े से बड़े लोग श्रद्धा से नतमस्तक हो जाया करते थे। शिक्षा विभाग से सेवा निवृत होने के बावजूद भी शिक्षा से गहरा लगाव रहा। कोई अगर मिल भी गया तो उससे शिक्षा से संबंधित विषय पूछना उनके नैतिक जीवन में भरा हुआ था। यही कारण था कि कभी भी उनके सानिध्य में अपराधियों का या अन्य जिनके अंदर संस्कार की भावना नहीं रहती थी, दूर-दूर तक दिखाई नहीं देता था। उनकी बढ़ती लोकप्रियता से उनका सम्मान और बढ़े इसके लिए विद्यालय के गेट पर अब नारायण द्वार बन कर सबका स्वागत करता है। वहीं पर वह अपने आचरण, व्यवहार और भाषा में लोगों के सामने सहयोगी जैसे भी दिखते थे आज जब वह इस दुनिया में नहीं रहे तो उनके द्वारा अनेक प्रकार के किस्से और कहानियां लोग अपने बच्चों को बताकर एक नया आदर्श प्रस्तुत कर रहे हैं। उनके पास चार पुत्र हैं। बड़े पुत्र ज्ञान प्रकाश सिंह एक विद्यालय के प्रधानाध्यापक के साथ पिता के साथ लगातार जब उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं था दिन रात उनकी सेवा में लगे हुए थे। दूसरे पुत्र डॉ. अशोक कुमार सिंह जो समाजसेवी के साथ परिवार की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभालने के साथ ही श्री शंकर जी इंटर कॉलेज के प्रबंधक भी हैं। वहीं पर तीसरे नंबर पर डॉ. अरुण कुमार सिंह इस समय आईपीएस बनकर गोरखपुर में नया इतिहास लिखने की तैयारी में हैं। चौथे नंबर पर डॉ. दिनेश कुमार सिंह असिस्टेंट प्रोफेसर गांधी शताब्दी स्मारक महाविद्यालय कोयलसा में कार्यरत हैं।

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