आंधी-तूफान से बिसवां के दर्जनों परिवार के उड़ गये आशियाने
बिसवां, सीतापुर। स्थानीय ब्लाक मुख्यालय से मात्र 3 कि.मी. दूर ग्राम अशरफपुर में आये चक्रवाती आंधी तूफान से लगभग आधा दर्जन लोगों के छप्पर, टीन आदि उखड़कर दूर जा गिरे। वे बेचारे खुले आसमान के नीचे अपने बीबी-बच्चों सहित शरणार्थियों की तरह रहने को विवश हैं। उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। यह सभी गरीब खेतिहर मजदूर है।
अब वे बेचारे छप्पर छानी का इंतजाम करें या मजदूरी करके बीबी बच्चे पालें। गांव में जहाँ कई अपात्र लोगों को तो प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत पक्के आवास मिल गये परंतु यह वास्तविक पात्र गरीब लोग आज भी छत के लिए तरस रहे हैं। आये दिन आने वाले इस तरह के आंधी तूफान में बेचारों को अपने भाग्य को कोसते हुये दूसरों के आगे हाथ फैलाना पड़ता है। ग्राम प्रधान से लेकर प्रधानमंत्री तक इन गरीब लोगों की आवाज को सुनने वाला कोई नहीं है। कोई जब नेट देखकर इनके आगे आंधी तूफान आने की भविष्यवाणी बताता है। इन बेचारे गरीब असहाय लोगों के दिल बैठने लगते हैं। गांव के सत्य नारायण, विक्रम, अशोक कुमार, दीपू चौहान व रामकिशोर ने बिलखते हुए बताया कि किस तरह तूफानी रात छप्पर व बल्लियों से लटककर बिताई, फिर भी बांस-बल्ली सहित छप्पर उड़कर दूर जा गिरे। छोटे-छोटे बच्चों की दिल दहलाने वाली चीख-पुकार सुनने वाला भगवान के सिवाय कोई नहीं था। भयावह रात की याद करके कलेजा कांपने लगता है बेचारों का। पता नहीं कब तक इन बेचारों को प्रधानमंत्री आवास मिल पायेंगे?
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