घपलेबाज ग्राम विकास अधिकारी के खिलाफ जांच के बावजूद फाइलों में सिमटकर रह गयी कार्यवाही!
घपलेबाज ग्राम विकास अधिकारी के खिलाफ जांच के बावजूद फाइलों में सिमटकर रह गयी कार्यवाही!
भ्रष्टाचार के आकण्ठ में डूब जिला प्रशासन ने रसूख के आगे कार्यवाही करना नहीं समझा मुनासिब
अनुभव शुक्ला
सलोन, रायबरेली। लोगों ने कहावत सुनी होगी कि जब साहब मेहरबान तो कर्मचारी पहलवान। जी हां, यह कहावत कोई कहानी नहीं, बल्कि सलोन ब्लाक के सूची ग्रामसभा में बीते वर्ष 2018 में हुए सरकारी धन में धांधली व भ्रष्टाचार के मामले में पूरी तरह से चरितार्थ हो रहा है। एक ऐसा भ्रष्ट व ऊंची पहुंच वाला ग्राम विकास अधिकारी जो सिक्कों की खनक में जिला स्तर की जांच को भी दबाकर कार्यवाही को फाइलों में सिमेट कर गुम कर दिया हैं।
मामले में कई बार जांच हुई और जांच में सलोन ब्लाक में तैनात ग्राम विकास अधिकारी को जांच अधिकारियों ने दोषी भले ही बनाया किंतु अब तक में पूर्व ग्राम प्रधान के विरुद्ध वित्त, राजस्व व प्रशासनिक अधिकार सीज किए गए तथा पूर्व ग्राम विकास अधिकारी सुशील भास्कर को सस्पेंड किया गया किंतु भ्रष्टाचार फैलाने में माहिर व मुख्य दोषी के रूप में ग्राम विकास अधिकारी रहे आलोक रंजन पर कार्यवाही होना एक टेढ़ी खीर साबित हुई। बताते चलें कि ताजा मामला जिले के सलोन ब्लाक स्थित सूची ग्राम सभा का है जहां बीते वर्ष 2018 में गांव निवासी योगेंद्र प्रताप ने ग्राम पंचायत नियमावली (1997 ग्राम प्रधानों का हटाया जाना) के तहत जिले के आला अधिकारियों से शिकायत कर जांच की मांग की जिसमें जांच उपरांत स्ट्रीट लाइट, पीएम आवास के साथ साथ लगभग 150 ऐसे स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय का बजट निकाल लिया गया जिनको ब्लाक स्तर पर सूचीबद्ध तरीके से पूर्ण तो दिखाया गया किंतु मौके पर ग्रामीणों के खाते में न पैसा पहुंचा और न ही उनको शौचालय का लाभ मिल पाया। इस लाखों रुपए की सरकारी धन के घपले की पुष्टि होते ही विकास विभाग के महकमे में हड़कंप मच गया।
यहां तक कि ग्राम विकास अधिकारी से लेकर खंड विकास अधिकारी व ग्राम प्रधान, ग्राम रोजगार सेवक पर प्राथमिकी भी दर्ज कराई गई। यह पूरा मामला अखबारों की सुर्खियों में भी बना किंतु यदि सूत्रों की माने तो डीपीआरओ कार्यालय में तैनात एक बाबू ने सिक्कों की खनक व रसूख की हनक में ग्राम विकास अधिकारी आलोक रंजन पर कार्यवाही के बजाए शिथिलता बरते हुए सिर्फ ग्राम प्रधान से ठेका दिलवाकर आनन फानन में सूची ग्राम सभा में कुछ ग्रामीणों के घर के सामने बालू व पीले ईंटो से महज 1 व 2 फीट का गड्ढा खुदवाकर मानक के विपरीत शौचालय का निर्माण करवा भ्रष्टाचार पर पर्दा डाल अपने पाप को धुल लिया जिसके बाद से लगातार शिकायतकर्ता अधिकारियों की चौखट पर न्याय की गुहार लगाता रहा और अब तक में कई ऐसी जांच आख्या लगाई गई जिसमें भ्रष्ट ग्राम विकास अधिकारी रहे आलोक रंजन पर कार्यवाही की संस्तुति व आरोपपत्र तक की बात तो लिखी गई किंतु पर अब तक में सिर्फ कार्यवाही प्रचलित है जैसे झूठे तथ्यों को दिखा मामले में हुए भ्रष्टाचार पर पर्दा डाल रहे हैं। चाहे वह जिला पंचायत राज अधिकारी हों, जिला विकास अधिकारी हों या फिर जिले के अन्य जिम्मेदार हो! आखिरकार जांच आख्या में भ्रष्टाचार की पुष्टि होने के बावजूद जिले के आला भ्रष्ट अधिकारी ग्राम विकास अधिकारी के कारनामों पर पर्दा डालते क्यों चले जा रहे हैं.? यह एक सबसे बड़ा अहम सवाल बना हुआ है।
ग्राम विकास अधिकारी रहे आलोक रंजन के भ्रष्टाचार का जैसे ही खुलासा हुआ। उनका तबादला अन्य क्षेत्र में कर दिया गया।जिसके बाद सुशील भास्कर ग्राम विकास अधिकारी सूची ग्राम सभा के नियुक्त हुए जो डीह ब्लाक में भ्रष्टाचार के आरोपों से घिर कर सलोन ब्लाक का दामन थाम लिये उन्होंने भी लगभग भ्रष्टाचार को अंजाम देने में कोर कसर नहीं छोड़ा जिसके बाद ग्राम विकास अधिकारी सुनील भास्कर के विरुद्ध निलंबन तक की कार्यवाही हुई किंतु भ्रष्टाचार के मुख्य दोषी रहे ग्राम विकास अधिकारी आलोक रंजन पर अब तक में साहब अपनी छत्रछाया क्यों बना रखी हैं। इन प्रश्नों का उत्तर मिलना मील का पत्थर साबित हो रहा है और थक हारकर पीड़ित ने धरने पर बैठने तक की ठान ली है। अब देखना यह है कि जिले के हकीम भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबे ग्राम विकास अधिकारी पर कार्यवाही करेंगे या फिर कारनामों पर पर्दा डाल फाइलों तक ही कार्यवाही सीमेट कर रह जायेगी। आखिर भ्रष्टाचारियों से लुटी सूची ग्राम सभा को कब न्याय मिलेगा हर ग्रामीणों के जुबां पर इस भ्रष्टाचार की दास्तां है।