शत—प्रतिशत मतदान को लेकर चौपाल का हुआ आयोजन
शत—प्रतिशत मतदान को लेकर चौपाल का हुआ आयोजन
अब्दुल शाहिद
बहराइच। प्रधान संगठन, रूल ऑफ लॉ सोसायटी, मालवीय मिशन व नमामि गंगे प्रकल्प के तत्वावधान में मिहींपुरवा विकासखंड के अनुसूचित जनजाति बहुल्य ग्रामों में नशामुक्त, भयमुक्त शतप्रतिशत मतदान चौपाल का आयोजन किया गया। इस अवसर पर अनुसूचित जनजाति की महिलाओं को नशामुक्त भयमुक्त मतदान करने का सामूहिक संकल्प भी दिलाया गया। इस अवसर अनुसूचित जनजाति की महिलाओं को नशामुक्त, भयमुक्त मतदान करने का सामूहिक संकल्प भी दिलाया। विभिन्न राष्ट्रवादी संगठनों की ओर से जनजाति बहुल्य ग्राम सोहनी बलई व अचकवा में गांव में चौपाल को संबोधित करते हुए जनपद के ख्यातिलब्ध साहित्यकार मालवीय मिशन जिलाध्यक्ष डॉ. अशोक पाण्डेय गुलशन ने कहा कि अनुसूचित जनजाति से सम्बद्ध थारू बंधु सनातन समाज के अभिन्न अंग है।
इनके सर्वांगीण चौमुखी विकास के लिए भाजपा ने सदैव प्रभावी प्रयास किया है। यही कारण है कि सीमावर्ती गाँव के हर क्षेत्र में विकास हर तरफ दिखाई पड़ रहा है। पर्यावरण विद नमामि गंगे प्रकल्प संयोजक राकेश चंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि सीमावर्ती इलाकों में शिक्षा, स्वास्थ्य, चिकित्सा के क्षेत्र में व्यापक सुधार हुआ है। स्थानीय स्तर पर कृषि आधारित रोजगार की संभावनाएं भी बढ़ी है इसके चलते थारू जनजातीय बहुल्य ग्रामों में हर घर मे खुशहाली भी दिख रही है। रूल ऑफ लॉ सोसायटी अध्यक्ष अवध संजीव श्रीवास्तव एडवोकेट ने बताया कि नशा से विमुख होकर थारू परिवार खुशहाली के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है। सोसायटी अध्यक्ष ने उपस्थित थारू समाज की महिलाओं से नशामुक्त, भयमुक्त शतप्रतिशत मतदान का आवाहन किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता समाजसेवी संघ चिंतक सुरेश वर्मा ने किया। कार्यक्रम का संचालन नमामि गंगे तहसील संयोजक जीत बहादुर थारू ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन सनातन समाज के नेता विनोद गुप्ता ने किया। चौपाल में प्रमुख रूप से थारू समाज के वरिष्ठ नेता कन्हैया लाल थारू, राधे किशुन थारू, फूल सिंह थारू, प्रमोद थारू, ब्रिज मोहन थारू, माया देवी, मनीषा, कल्पना देवी, अनिता थारू समेत सैंकड़ों थारू महिलाएं एवं पुरुष मौजूद रहे। समापन अवसर पर थारू समाज की महिलाओं ने नशामुक्त समाज बनाने का समूहिक संकल्प भी लिया। जनकल्याणकारी कार्यक्रमों के बारे मे विस्तार से बताया तथा विषमुक्त खेती व नशामुक्त गाँव बनाने का सामूहिक संकल्प दिलाया और पर्यावरण विद गौरैया संरक्षण के लिए मुहिम चला रहे साहित्यकार मिथलेश जायसवाल को अंगवस्त्रम पहनाकर स्वागत भी किया।
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