मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड सामग्री प्रबंधन का करिश्माई कारनामा
प्रदीप कुमार
लखनऊ। मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड में ट्रांसफार्मर की मरम्मत के लिए प्रयुक्त होने वाली सामग्री प्रेस बोर्ड और पेपर की सप्लाई की जाती है जिसकी प्रक्रिया ई टेंडरिंग के तहत होती है। अभी तक लगभग 10 सालों से एमएसएमई में रजिस्टर्ड मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां सूर्यांश पल्प एण्ड बोर्ड इंसान पेपर बोर्ड हरियाणा तथा अशोक राय बोर्ड चेन्नई मध्यांचल में सप्लाई कर रही थी लेकिन इस बार प्रेस बोर्ड और पेपर का टेंडर हुआ और सामग्री प्रबंधन ने गुणवत्ता मांनको में हेरा—फेरी करके अपने चहेते सप्लायरों को टेंडर देने के उद्देश्य से इन तीनों कंपनियों का टेंडर रिजेक्ट कर दिया जबकि यह कंपनियां पिछले 10 सालों से मध्यांचल डिस्कॉम में गुणवत्ता पूर्वक सप्लाई कर रही थी और गुणवत्ता से संबंधित मध्यांचल की तरफ से इन कंपनियों को कोई नोटिस भी नहीं जारी हुई है। मध्यांचल सामग्री प्रबंधन जब कोई सामग्री खरीदना है तो सबसे पहले उसका टाइप टेस्ट मांगता है जो इरीड़ा या सीपीआरआई लैब का होना चाहिए। इसके बाद जब मैटेरियल सप्लाई के लिए कंपनी द्वारा तैयार होता है तो उसका दूसरा निरीक्षण मध्यांचल के इंजीनियर करते हैं और जब मैंटेरियल विद्युत विभाग के स्टोर में आता है तो तीसरी बार सामग्री का निरीक्षण बिजली विभाग इरीड़ा या सीपीआरआई से करवाता है। इसके बाद भी सामग्री प्रबंधन के अधिकारियों ने गुणवत्ता मानकों में छेड़छाड़ करके इन 10 सालों से काम कर रही एमएसएमई मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को टेंडर से बाहर का रास्ता दिखा दिया और सप्लायरों को मैन्युफैक्चर की अपेक्षा दुगुने रेट पर काम करने की हरी झंडी दे दी। एक चीज साफ जाहिर होती है किविभाग 10 साल से गुणवत्ता विहीन सामग्री खरीद रहा था जो अब सही सामग्री खरीदने जा रहा है। विभाग ने अगर 10 साल गुणवत्ता विहीन सामग्री खरीदी तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? इससे साफ जाहिर होता है कि यह लोग योगी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना एमएसएमई को बढ़ावा देने पर पलीता लगा रहे हैं और दुगुने रेट पर काम करने वाले सप्लायरों को काम देकर विभाग को भी चूना लगा रहे हैं।
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