‘अन्त नहीं यह’ काव्य संग्रह से युवाओं को राष्ट्र निर्माण के लिये मिलेगी प्रेरणा: राज्यपाल
राज्य सूचना आयुक्त वीरेन्द्र सिंह ने अपना दूसरा काव्य संग्रह राज्यपाल को किया भेंट
लखनऊ। पुस्तकें समाज का प्रकाश स्तम्भ होती हैं जो युवाओं को राष्ट्र निर्माण की प्रेरणा देती हैं। पुस्तकें समाज का दर्पण होती हैं। उक्त बातें उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनन्दीबेन पटेल ने राज्य सूचना आयुक्त एवं प्रखर राष्ट्रवादी कवि वीरेन्द्र सिंह ‘वत्स’ द्वारा शनिवार को राजभवन में ‘अंत नहीं यह… अपना दूसरा काव्य संग्रह भेंट करने के दौरान कहीं। श्रीमती पटेल ने उनके काव्य संग्रह भेंट करने पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
उन्होंने श्री रामलला पर आधारित गीतों की प्रतियां भी भेंट की। गौरतलब है कि इसमें वे गीत भी शामिल हैं जो प्रति वर्ष नई दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर निकलने वाली उत्तर प्रदेश की झांकी में बजाए जाते हैं। इस पुस्तक में वे गजलें भी शामिल हैं जिन्हें समय-समय पर विभिन्न दलों के शीर्ष नेता संसद और विधानसभाओं में उद्धृत करते हैं। उदाहरण के तौर पर नजर नहीं है नजारों की बात करते हैं जमीं पे चांद-सितारों की बात करते हैं। वो हाथ जोड़कर बस्ती को लूटने वाले, भरी सभा में सुधारों की बात करते हैं, मेरा हर लफ्ज़ है अमन के लिए, मेरी हर सांस बंदगी के लिए और मैं हवा के खिलाफ चलता हूं सिर्फ इंसान की खुशी के लिए आदि विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। उत्तर प्रदेश सरकार के सांस्कृतिक अभियानों से जुड़े गीत भी इसमें संकलित हैं। इस अवसर पर राज्य सूचना आयुक्त की धर्मपत्नी गीता सिंह और उनके छोटे भाई विजय सिंह भी मौजूद रहे।
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